El nino: क्या है अल-नीनो का फसलों पर असर, क्या बढ़ जाएगी महंगाई, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

El nino: क्या है अल-नीनो का फसलों पर असर, क्या बढ़ जाएगी महंगाई, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

अल-नीनो से गर्मी बढ़ेगी और इससे सूखे का प्रकोप बढ़ेगा. बारिश कम होगी जिससे धान जैसी फसलें मारी जा सकती हैं. बाकी फसलें भी पानी की कमी से प्रभावित होंगी. इससे उत्पादन गिरेगा और महंगाई बढ़ सकती है. इस तरह अल-नीनो हमारी जिंदगी के कई क्षेत्रों में बड़ा प्रभाव डाल सकता है.

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El nino: क्या है अल-नीनो का फसलों पर असर, क्या बढ़ जाएगी महंगाई, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्टअल-नीनो से देश की कई फसलों पर बुरा असर देखा जा सकता है

इस बार मॉनसून के बीच अल-नीनो (El Nino) की आशंका है. मौसम विभाग अपने पूर्वानुमान में पहले ही कह चुका है कि जुलाई महीने में देश में अल-नीनो की स्थिति बन सकती है जिससे बारिश घटने और सूखे का अंदेशा है. कुछ इसी तरह की बात वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन यानी कि WMO  ने भी कही है. डब्ल्यूएमओ का कहना है कि पिछले सात साल में पहली बार अल-नीनो के हालात बन रहे हैं. इससे मौसम में कई बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं. इसमें सबसे खास है प्रशांत महासागर का गर्म होना. WMO कहता है कि अल-नीनो की वजह से प्रशांत महासागर के 90 फीसद तक गर्म होने की संभावना है जिसका प्रभाव इस पूरे साल देखा जा सकता है. इससे दुनिया के कई देशों का मौसम गर्म होगा जिसमें भारत भी एक है. इससे फसलों पर बड़े पैमाने पर दुष्प्रभाव की आशंका जताई जा रही है.

WMO की स्टडी में बताया गया है कि अल-नीनो से फसलों की पैदावार घटती है जिससे दुनिया में अनाजों की सप्लाई प्रभावित हो सकती है. एक उदाहरण में बताया गया है कि इंडोनेशिया और मलेशिया में बड़े पैमाने पर पाम ऑयल का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार अल-नीनो बुरा असर डाल सकता है. इन दो देशों से पाम तेल का निर्यात दुनिया के कई हिस्सों में होता है जिसमें भारत भी एक है. इस तरह अल-नीनो भारत में पाम तेल की कीमतों को बढ़ा सकता है क्योंकि इंडोनेशिया और मलेशिया में इसका उत्पादन घटेगा.

क्या कहता है WMO

WMO ने कुछ दिन पहले अपने अनुमान में कहा था कि अप्रैल से जून के बीच अल-नीनो बनने की संभावना 15 परसेंट रही जबकि मई से जुलाई के बीच यह संभावना 35 फीसद हो गई. इससे भी खतरनाक स्थिति जून से अगस्त के बीच हो सकती है जिसमें 55 परसेंट तक अल-नीनो का प्रभाव देखा जा सकता है. इससे मौसम में हुए बदलाव का बेहद बुरा असर फसलों पर देखा जाएगा.

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भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि प्रधान है और यहां की खेती मॉनसून पर निर्भर करती है. ऐसे में अगर अल-नीनो के चलते सूखा पड़ता है, तो यहां की खेती चौपट होगी, उपज घटेगी और महंगाई बढ़ने की संभावना रहेगी. अल-नीनो से किसानों की कमाई भी घटेगी. बड़े स्तर पर देखें तो भारत की पूरी खाद्य सुरक्षा पर खतरे के बादल मंडरा सकते हैं. धान की फसल के लिए जितने पानी की जरूरत होती है, अल-नीनो पानी की मात्रा को घटा सकता है जिससे उपज गिरेगी. इससे महंगाई बढ़ने और अंततः कुपोषण बढञने का खतरा भी सामने आ सकता है.

खेती पर अल-नीनो का असर

अल-नीनो का असर देश की खेती पर कम पड़े, इसके लिए सरकार कई तरह के कदम उठा रही है. इसमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग के अलावा ऐसी किस्मों की खेती पर जोर दिया जा रहा है जो बढ़ते तापमान को भी झेल सके. रेनवाटर हार्वेस्टिंग का फायदा ये होगा कि बारिश कम होने पर भी किसानों की फसलों को पानी मिल सकेगा. किसानों को सूखे की मार झेलने में रेनवाटर हार्वेस्टिंग का पानी मदद करेगा. इसके अलावा सरकार ने किसानों को पानी की किल्लत और सूखे से बचाने के लिए कई स्कीम चलाई है जिनमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना और नेशनल ग्राउंडवाटर मैनेजमेंट इंप्रूवमेंट स्कीम शामिल हैं.

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