देश की 960 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन बंजर हो चुकी है. मिट्टी में मौजूद जैविक तत्वों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है. जबकि, पानी के तेज बहाव और हवा के चलते हर साल कई टन टॉप सॉइल नष्ट हो रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज धरती संकट में है अगर पर्यावरण इसी तरह बिगड़ता रहा तो ये सवाल खड़ा हो गया है कि धरती रहने लायक बचेगी? केवल मानव जाति नहीं जीव-जंतु के अस्तित्व पर भी संकट पैदा हो जाएगा.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में कहा कि आज धरती संकट में है अगर पर्यावरण इसी तरह बिगड़ता रहा तो ये सवाल खड़ा हो गया है कि धरती रहने लायक बचेगी? केवल मानव जाति नहीं जीव-जंतु के अस्तित्व पर भी संकट पैदा हो जाएगा. जरूरी है कि हम पर्यावरण बचाने का अभियान चलाएं. जिसका सशक्त माध्यम है कि वृक्षारोपण. मेरे मन में संकल्प पैदा हुआ कि मैं खुद रोज पेड़ लगाऊं. पेड़ लगाना मेरी दिनचर्या का अभिन्न अंग है. 19 फरवरी 2021 के बाद एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब मैंने पेड़ ना लगाया हो, कोविड के दौरान भी मैंने इसे जारी रखा. इससे पहले एक संबोधन में उन्होंने बताया कि देश की 30 फीसदी जमीन खराब हो चुकी है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR–IISWC) देहरादून केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने कहा कि भारत विश्व के कुल भूमि क्षेत्र का 2.4 फीसदी है. यह 17.7 फीसदी वैश्विक जनसंख्या और 15 फीसदी पशुधन का पोषण करता है. हालांकि, देश की मिट्टी तेज कृषि, शहरीकरण, वन कटाई और जलवायु परिवर्तन के चलते अत्यधिक दबाव में है. इसरो (ISRO) की हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की 960 लाख हेक्टेयर भूमि खराब हो चुकी है. इतना ही नहीं हर साल 5.3 अरब टन टॉपसॉइल पानी और हवा के तेज बहाव के चलते नष्ट हो जाती है.
वैज्ञानिकों ने मिट्टी के स्वास्थ्य को बरकारर रखने के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं करने और क्षरण रोकने का आह्वान किया है. भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR–IISWC) मुख्यालय और देशभर में अपने 8 अनुसंधान केंद्रों के साथ हाल ही में एक कोर रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और मृदा स्वास्थ्य का आकलन करना है. इससे मिट्टी में हो रहे बदलावों की पहचान कर सुधार के लिए उपायों को लागू करना है. वैज्ञानिकों ने मिट्टी के स्वास्थ्य को बरकारर रखने के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं करने और क्षरण रोकने के लिए पौधारोपण करना होगा.
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