सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट फिर घटा दी है. लिमिट में कटौती होलसेलर, छोटे और बड़े चेन रिटेलर्स और प्रोसेसर्स के लिए लागू की गई है. सरकार ने यह कवायद जमाखोरी और महंगाई रोकने के लिए तेज की है. इससे पहले भी गेहूं की स्टॉक लिमिट का नियम लगाया गया है. हालांकि जिस तेजी से गेहूं के भाव में गिरावट आनी चाहिए, वैसा कुछ देखने में नहीं आ रहा है. अब भी गेहूं के भाव 25 रुपये के आसपास चल रहे हैं.
स्टॉक लिमिट में कटौती की घोषणा करते हुए खाद्य मंत्रालय ने कहा, गेहूं के दाम में कमी लाने के लिए लगातार कोशिश जारी है. इसी कोशिश के तहत भारत सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट में बदलाव करने का फैसला लिया है जो कि 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगा.
देश में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने और जमाखोरी रोकने के लिए भारत सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी और छोटी रिटेल चेन और प्रोसेसर्स पर गेहूं की स्टॉक लिमिट लगाई है. नए नियमों के मुताबिक, होलसेलर्स अब 2,000 टन की जगह 1,000 टन गेहूं रख सकेंगे. इसी तरह रिटेलर्स 10 टन के बदले 5 टन गेहूं रख सकेंगे जबकि बड़ी चेन के रिटेलर्स 10 टन की जगह अब 5 टन गेहूं ही रख सकेंगे. प्रोसेसर्स अब अपनी क्षमता के 50 परसेंट गेहूं रखेंगे जबकि पहले यह स्टॉक लिमिट 60 परसेंट थी.
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सरकार ने सबसे पहले 24 जून को स्टॉक लिमिट का नियम लगाया था. इसके बाद 9 सितंबर को इसमें बदलाव किया गया. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि जमाखोरी पर ब्रेक लगे और गेहूं के बढ़ते दाम को काबू में रखा जा सके. खाद्य मंत्रालय ने अपने निर्देश में कहा कि स्टॉक करने वाली सभी कंपनियों को स्टॉक लिमिट पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर जानकारी देनी होगी. हर शुक्रवार को स्टॉक के बारे में बताना भी होगा.
अगर कोई कंपनी (होलसेलर, बिग चेन रिटेलर्स, स्मॉल चेन रिटेलर्स, प्रोसेसर्स) बताई गई लिमिट से अधिक गेहूं जमा करती है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 15 दिन के अंदर नई स्टॉक लिमिट को मेंटेन करना होगा. अगर कोई कंपनी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करती है या स्टॉक लिमिट नियमों का उल्लंघन करती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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खाद्य मंत्रालय गेहूं और आटा के महंगे भाव को देखते हुए स्टॉक लिमिट पर बराबर नजर रख रहा है. खाद्य मंत्रालय की कोशिश है कि कालाबाजारी पर अंकुश लगाकर गेहूं के भाव को कम या स्थिर रखा जाए. इसी कोशिश में गेहूं की स्टॉक लिमिट लगाई गई है.
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