इथेनॉल बनाने के लिए चावल का रिजर्व मूल्य घटाने की तैयारी, इस वजह से केंद्र ले सकता है फैसला  

इथेनॉल बनाने के लिए चावल का रिजर्व मूल्य घटाने की तैयारी, इस वजह से केंद्र ले सकता है फैसला  

सरकार चावल के भरपूर स्टॉक को देखते हुए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से रखे गए केंद्रीय पूल से इथेनॉल बनाने के लिए अनाज बेस्ड डिस्टलरीज को दिए जाने वाले टूटे चावल के रिजर्व बिक्री मूल्यों में कमी करने पर चर्चा कर रही है.

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इथेनॉल बनाने के लिए चावल का रिजर्व मूल्य घटाने की तैयारी, इस वजह से केंद्र ले सकता है फैसला  स्टेकहोल्डर्स के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जा रही है.

केंद्र सरकार इथेनॉल बनाने के लिए चावल के लिए रिजर्व बिक्री कीमत को घटाने की तैयारी में है. क्योंकि, चावल निर्यात पर बैन हटने और खरीफ सीजन की उपज की आवक बाजार में शुरु होने के बाद से घरेलू स्तर पर चावल का अधिक स्टॉक हो गया है. दूसरी ओर अनाज से इथेनॉल बनाने वाली डिस्टलरीज के पास एफसीआई स्टॉक के लिए कोई खरीदार नहीं है. ऐसे में सरकार इथेनॉल के लिए तय चावल की कीमत को घटाकर खरीदारों को आकर्षित कर सकती है. सू्त्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार की ओर से स्टेकहोल्डर्स के साथ इस मुद्दे पर चर्चा और मूल्य में कमी पर विचार किया जा रहा है. 

सरकार चावल के भरपूर स्टॉक को देखते हुए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से रखे गए केंद्रीय पूल से इथेनॉल बनाने के लिए अनाज बेस्ड डिस्टलरीज को दिए जाने वाले टूटे चावल के रिजर्व बिक्री मूल्यों में कमी करने पर चर्चा कर रही है. सूत्रों के हवाले से फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने लिखा है कि बॉयो फ्यूल इथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक मक्का और चावल की उपलब्धता का आकलन करने की चर्चा है. अधिकारियों ने माना है कि इथेनॉल निर्माताओं को आवंटित टूटे चावल के लिए खरीदारों की कमी सरकार की ओर से तय अधिक कीमतों के चलते पैदा हुई है. सूत्रों ने कहा कि हम सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मूल्य में कमी पर विचार किया जा रहा है. 

मानक स्टॉक से 20 मीट्रिक टन ज्यादा चावल 

सरकार ने अगस्त में इथेनॉल मैन्यूफैक्चरर्स के लिए चावल की बिक्री पर 13 महीने का प्रतिबंध हटा दिया है और परिवहन लागत को छोड़कर 28 रुपये प्रतिकिलो पर डिस्टलरीज के लिए केंद्रीय पूल स्टॉक से 23 लाख मीट्रिक टन की खरीद को मंजूरी दी गई है. चावल को एफसीआई की ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत ई-नीलामी के जरिए बेचा जाना था. हालांकि, कोई खरीदार नहीं मिला, क्योंकि इथेनॉल मैन्यूफैक्चरर्स ने वित्तीय कमी का हवाला दिया. एफसीआई और संबंधित एजेंसियों के पास फिलहाल 28 मीट्रिक टन चावल का स्टॉक है. ये स्टॉक 1 जनवरी के लिए 7.61 मीट्रिक टन की बफर स्टॉक से काफी अधिक है.

कम कीमत पर इथेनॉल इंडस्ट्री को जारी हो चावल

ग्रेन इथेनॉल मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (जीईएमए) के समिति प्रमुख और कोषाध्यक्ष अभिनव सिंघल ने कहा कि प्राथमिक अनाज मक्का पर मांग के दबाव को कम करने के लिए सरकार को उपभोक्ताओं के लिए अनुपयुक्त चावल को 20 से 21 फीसदी की कम कीमत पर इथेनॉल इंडस्ट्री के लिए जारी कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पोल्ट्री और पशुधन की ओर से इथेनॉल बनाने के लिए भारी मांग के चलते मक्का की कीमतों में तेजी आई है. वर्तमान में तेल मार्केटिंग कंपनियां चावल से बनने वाले इथेनॉल के लिए 64 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करती हैं.

टारगेट पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने पर जोर

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) 2025-26 के लिए 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का टारगेट पूरा करने के लिए देश को 2023-24 में 545 करोड़ लीटर से अधिक 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करना होगा. एक आधिकारिक नोट के अनुसार 2023-24 में ESY के दौरान पेट्रोल के साथ 14.6 फीसदी ब्लेंडिंग हासिल किया गया है. बताया गया है कि गुड़ से इथेनॉल बनाने की 941 करोड़ लीटर क्षमता और अनाज आधारित डिस्टिलरी की क्षमता 744 करोड़ लीटर इथेनॉल है. 

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