आगामी 1 फरवरी 2025 को देश का 2025-26 के लिए बजट पेश होने जा रहा है. बजट में युवा, महिला के साथ ही किसान बड़ी भूमिका में नजर आने वाला है. एक्सपर्ट का अनुमान है कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के लिए बजट में बढ़ोत्तरी कर सकती है. ताकि ग्रामीण आय को बढ़ाया जा सके और खेती तकनीक, जलवायु अनुकूल किस्मों और पद्धतियों पर फोकस किया जा सके. जबकि, सरकार के एजेंडे में तिलहन और दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के साथ ही फलों का निर्यात दोगुना करना भी पहले से है. इसके अलावा फसलों की सिंचाई सुविधाओं के साथ ही फसल कटाई के बाद बर्बादी रोकने के लिए उचित प्रबंधन, स्टोरेज सुविधाएं देने के साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है.
एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार नए बजट में कृषि पर होने वाले खर्च को 15 फीसदी तक बढ़ा सकती है. खर्च बढ़ोत्तरी का उद्देश्य ग्रामीण आय को बढ़ावा देना और महंगाई पर अंकुश लगाना है. इस रकम के जरिए अधिक उपज देने वाली फसलों के विकास, जलवायु अनुकूल बीज रिसर्च, अनाज भंडारण और सप्लाई चेन के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के साथ ही दलहन, तिलहन, सब्जी और डेयरी उत्पादन को बढ़ावा देना शामिल है. जबकि, कहा गया है कि फसलों के दाम को लेकर किसानों के एक वर्ग में लंबे समय से नाराजगी है, ऐसे में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फैसला भी सरकार इस बजट में ले सकती है.
कृषि क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गोदरेज एग्रोवेट के एनीमल फीड बिजनेस के सीईओ कैप्टन एवाई राजेंद्र ने बजट किसानों के सकारात्मक रहने की उम्मीद जताई है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार हर साल बजट में किसानों के विकास के लिए कुछ ना कुछ प्रावधान करती है. उन्होंने कहा कि किसानों की वित्तीय मदद के लिए लोन सुविधाएं और आसान करने की जरूरत है. जबकि, पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े किसानों को लोन के साथ ही इंसेंटिव्स भी मिलने चाहिए. उन्होंने कहा कि दूध का अच्छा रेट रखने के लिए सरकार नीति पर फोकस करना चाहिए, ताकि किसानों की आय में इजाफा हो सके.
कृषि क्षेत्र में युवाओं को रोजगार के लिए वित्तीय मदद और ट्रेनिंग दिलाने वाली संस्था भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (BYST) की संस्थापक लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन्हें वित्तीय सहायता की कमी, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और सतत विकास से संबंधित अपर्याप्त ज्ञान जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इस वर्ष के केंद्रीय बजट को सिंचाई प्रणाली, भंडारण सुविधाओं और कोल्ड चेन जैसे ग्रामीण बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए, जो फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं और किसानों की आय को स्थिर कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इनोवेशवन और कृषि उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत 4,950 कृषि स्टार्टअप्स को समर्थन दिया है, जिससे कृषि, कृषि-लॉजिस्टिक्स, जैविक खेती और अन्य क्षेत्रों में प्रगति हुई है. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार पिछले वर्ष के बजट में शामिल प्राकृतिक खेती और जलवायु संवेदनशील फसलों जैसी पहलों को भी समर्थन देगी. उन्होंने कहा कि कोलेटरल फ्री लोन के जरिए बेहतर वित्तीय पहुंच और बाजार पहुंच कार्यक्रमों में सुधार से कृषि उद्यमियों को इनोवेशन करने और विस्तार करने में मदद करेगी.
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