अक्सर चुनावों से पहले करदाताओं को सरकारों से टैक्स छूट का तोहफा मिलता है. लेकिन, अगर अनुमान और उम्मीदें सटीक साबित हुईं तो ऐसा शायद पहली बार होगा कि चुनाव जीतने के बाद टैक्सपेयर्स को सरकार राहत देने का एलान करेगी. दरअसल, 7 जून को एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यम वर्ग को लेकर जो बयान दिया था उससे बजट में आयकर छूट को लेकर आस बढ़ गई है. जानकारों का भी मानना है कि जुलाई के तीसरे हफ्ते में 2024-25 के पूर्ण बजट को पेश करते समय वित्त मंत्री टैक्स को लेकर कोई बड़ा एलान कर सकती हैं.
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद वित्त मंत्रालय ने आयकर में राहत को लेकर मंथन शुरू कर दिया है. अब मंत्रालय बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए आयकर छूट से जुड़े विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहा है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि मध्यमवर्ग देश के विकास का चालक है और उनकी भलाई और सुविधा हमारी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग कैसे कुछ बचत कर सके और उनकी जिंदगी को और कैसे आसान बनाई जा सके, इस दिशा में हम नीति बनाएंगे.
जाहिर है पीएम का ये बयान बजट से पहले कई तरह के कयास लगाने की वजह बन गया है. ऐसे में मध्यमवर्ग को बचत सुविधा देने पर काम शुरू होने की भी खबरें सामने आने लगी हैं. वैसे भी जिस तरह से बीते पांच बरसों में आयकर संबंधी कोई छूट नहीं दी गई है, उससे भी गठबंधन सरकार के लिए इस दिशा में काम करना जरूरी हो गया है. बीते 5 साल में केवल न्यू टैक्स रीजीम को लागू करने का काम सरकार ने किया था, जिसमें 50 हजार रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर साढ़े 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है.
खबरों के मुताबिक वित्त मंत्रालय में आयकर के स्लैब में बदलाव करने की चर्चा चल रही है जिससे मध्यम वर्ग के पास बचत करने के लिए कुछ पैसा बच सके. कहा जा रहा है कि सरकार सालाना 15 से 17 लाख कमाने वालों के लिए न्यू टैक्स रिजीम के तहत कम टैक्स का प्रावधान करेगी और टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी. तो फिर इससे बड़े पैमाने पर लोगों को राहत मिलेगी. टैक्स दर में बदलाव से होने वाली बचत से मध्यम वर्ग की खपत बढ़ेगी जो आखिरकार अर्थव्यवस्था के लिए ही फायदेमंद है. वैसे भी जिस तरह से इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या लगातार बढ़ते हुए आठ करोड़ के पार निकल गई है उससे भी सरकार के पास आयकर में राहत देने की गुंजाइश पैदा हो गई है.
वर्तमान न्यू टैक्स रिजीम नियमों के अनुसार सालाना 0-3 लाख तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इसके बाद 3 से 6 लाख पर 5%, 6 से 9 लाख तक 10%, 9 से 12 लाख पर 15%, 12 से 15 लाख पर 20% और 15 लाख से ऊपर की इनकम पर 30% टैक्स लगता है. इसके अलावा हेल्थ एंड एजुकेशन सेस के तौर पर 4% लगता है. (आदित्य के राणा)
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