Bee keeping: शहद ही नहीं... मधुमक्खी से म‍िलने वाले ये 3 प्रोडक्ट भी बढ़ाएंगे क‍िसानों की आय

Bee keeping: शहद ही नहीं... मधुमक्खी से म‍िलने वाले ये 3 प्रोडक्ट भी बढ़ाएंगे क‍िसानों की आय

देश में उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा शहद का उत्पादन करता है. प्रदेश में हर साल 22 हजार मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है, जो देश के कुल उत्पादन का 18 फ़ीसदी है. दूसरे नंबर पर बंगाल 16 फीसद शहद का उत्पादन करता है और पंजाब 13.6 फ़ीसदी शहद का उत्पादन करता है.

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Bee keeping: शहद ही नहीं... मधुमक्खी से म‍िलने वाले ये 3 प्रोडक्ट भी बढ़ाएंगे क‍िसानों की आय  शहद के साथ इन उत्पाद से बढ़ रही है किसानों की आय

मधुमक्खी पालन (Bee keeping) को मीठी क्रांति नाम दिया गया है. देश में उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा शहद का उत्पादन करता है. प्रदेश में हर साल 22 हजार मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है जो देश के कुल उत्पादन का 18 फ़ीसदी है.  दूसरे नंबर पर बंगाल 16 फीसद शहद का उत्पादन करता है और पंजाब 13.6 फ़ीसदी शहद का उत्पादन करता है. मधुमक्खी पालन के माध्यम से किसान शहद के साथ-साथ तीन और कीमती उत्पाद मिलते हैं, जिससे उसकी आय में और भी ज्यादा इजाफा होता है. मधुमक्खी पालन के जरिए  पॉलिन, पर्पोलिस और वैक्स भी प्राप्त होता है, जिनकी कीमत बाजार में शहद से भी ज्यादा है. इन उत्पादों के जरिए किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होती है.

शहद के साथ इन उत्पाद से बढ़ रही है किसानों की आय

उत्तर प्रदेश में सहारनपुर में मधुमक्खी पालन (Bee keeping) के जरिए 1000 से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं. इन किसानों के द्वारा हर साल प्रदेश के दूसरे जिलों के मुकाबले सबसे ज्यादा शहद उत्पादन किया जा रहा है. लखनऊ के गोसाईगंज के तहत उत्पादक किसान बृजेश वर्मा ने किसान तक को बताया कि मधुमक्खी पालन के जरिए वह हर साल 300 टन से ज्यादा शहद का उत्पादन करते हैं. शहद के साथ-साथ मधुमक्खी से उन्हें पॉलिन, पर्पोलिस और वैक्स भी मिलता है. इन उत्पादों के माध्यम से हर साल उन्हें अच्छी आय होती है.

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प्रोटीन से भरपूर है पॉलिन

मधुमक्खी पालन का काम करने वाले बृजेश वर्मा बताते हैं की मधुमक्खी जब फूलों से परागण इकट्ठा करती हैं तो वह अपने साथ पॉलिन भी ले आते हैं, जिसको बॉक्स में जाली लगाकर इकट्ठा किया जाता है. पॉलिन पीले रंग का दानेदार होता है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है. पूरे साल में एक बॉक्स से 8 किलो पॉलिन प्राप्त होता है. उनके द्वारा 15 क्विंटल पॉलिन पैदा किया जा रहा है, जो 250 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकता है.

दवा बनाने में होता है पर्पोलिस का उपयोग

मधुमक्खी के माध्यम से पर्पोलिस भी प्राप्त होता है. इसके लिए एक खास किस्म की जाली का उपयोग किया जाता है. मधुमक्खी अपना छत्ता बनाने के लिए पहले इस जाली को जिस तरह से बंद करती है, इसी से पर्पोलिस प्राप्त होती है. यह एक तरह की एंटीबायोटिक है. इसका रंग भूरे और ग्रीन कलर का होता है. पूरे साल में एक बॉक्स से 1 किलो पर्पोलिस प्राप्त होती है, जिसकी कीमत 1000 से लेकर 1200 रुपये प्रति किलो होती है.

कॉस्मेटिक में होता है वैक्स का उपयोग

मधुमक्खी पालन के माध्यम से शहद के बाद वैक्स सबसे ज्यादा प्राप्त होता है, जिसका सबसे ज्यादा उपयोग कॉस्मेटिक उद्योग में किया जाता है. मधुमक्खी पालन करने वाले बृजेश वर्मा बताते हैं कि एक बॉक्स के माध्यम से लगभग 500 ग्राम वैक्स की प्राप्त होती है. बाजार में 1 किलो वैक्स की कीमत 250 रुपये होती है. वैक्स के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त आय मिलती है.

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