देश के बैंकों ने बीते 5 साल में उद्योगपतियों के लोन का 5.52 लाख करोड़ रुपया बट्टे खाते में डाल दिया है. इसे एक तौर से माफ करना भी कह सकते हैं. क्योंकि, बट्टे खाते में रकम डालने का मतलब होता है कि बैंक को वह पैसा मिलने की उम्मीद नहीं है. अब किसानों को अपना कर्ज बैंकों से माफ किए जाने का इंतजार है. रिपोर्ट के अनुसार देश के करीब 16 करोड़ किसानों पर बैंकों का लगभग 21 लाख करोड़ रुपये कर्ज है.
सरकार ने बीते दिन मंगलवार को संसद को बताया कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान बैंकों ने कुल 10.57 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किए हैं. इनमें से 5.52 लाख करोड़ रुपये बड़े उद्योगों से संबंधित लोन के हैं. वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार शिड्यूल कमर्शियल बैंकों (SCB) ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10.57 लाख करोड़ रुपये की कुल लोन राशि माफ की है. शिड्यूल कमर्शियल बैंकों (SCB) में सभी सरकारी और निजी बैंक शामिल हैं. इन बैंकों ने 5 साल की अवधि के दौरान 7.15 लाख करोड़ रुपये की नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए की वसूल भी की है.
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान यानी 2018 से 23 तक बड़े उद्योगों और सेवाओं से संबंधित लोन के संबंध में 5.52 लाख करोड़ रुपये की कुल राशि माफ कर दी है. उन्होंने यह भी कहा कि इसमें 5 साल की अवधि के दौरान सभी बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के कारण बट्टे खाते में डाले गए 93,874 करोड़ रुपये भी शामिल हैं.
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वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि बैंक संबंधित बोर्ड की नीतियों के अनुसार अपनी बैलेंस शीट साफ करने, टैक्स बेनेफिट्स पाने और पूंजी को कस्टमाइज करने की प्रैक्टिस के हिस्से के रूप में नियमित रूप से राइट ऑफ के प्रभाव का मूल्यांकन करते हैं. बता दें कि इस तरह के लोन बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ताओं की देनदारियों में छूट नहीं मिलती है. बट्टे खाते में डाले गए लोन के लिए उधारकर्ता रिपेमेंट के लिए उत्तरदायी बने रहते हैं और बैंक वसूली के लिए शुरू की गई कार्रवाई जारी रखते हैं.
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