लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए कई तरह के फल खाते हैं, जिसमें ज्यादातर लोग सेब, केला, अनार, अमरूद को ही शरीर के लिए सबसे लाभदायक फल मानते हैं. मार्केट में पूरे साल फलों की डिमांड रहती है. साथ ही कई फलों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस फल की वैरायटी पत्थर नख है. दरअसल, ये नाशपाती की एक खास वैरायटी है. फलों में नाशपाती का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस फल को लोग खूब खाना पसंद करते हैं. ऐसे में आइए ये भी जानते हैं नाशपाती की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं?
पत्थर नख: इस किस्म का फल देखने में हरा, गोल और सामान्य आकार का होता है. जिसके ऊपर छोटी-छोटी बिंदिया बनी होती है. इस किस्म के फल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे अधिक समय तक स्टोरेज किया जा सकता है. वहीं, इसका गुदा रसभरा और कुरकुरा होता है. इसके प्रत्येक वृक्ष से 150 किलो उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है. जुलाई के अंतिम सप्ताह में इसके फल पक जाते हैं.
पंजाब नख: वैसे तो इस किस्म को भी पत्थर नख से ईजाद किया गया है, लेकिन इससे पैदावार अधिक होती है. इस किस्म से हर पेड़ से 190 किलो तक उत्पादन लिया जा सकता है. जुलाई के अंतिम सप्ताह में पकने वाली इस किस्म का फल देखने में हल्के पीले रंग का होता है. पत्थर नख की तरह इसका गुदा भी रसभरा और कुरकुरा होता है.
बागूगोसा: इस किस्म के फल देर से पकते हैं. ऐसे में जो किसान पछेती फसल लगाना चाहते हैं, वो इस किस्म की खेती कर सकते हैं. यह किस्म अगस्त महीने में पककर तैयार हो जाती है. ये किस्म खाने में काफी स्वादिष्ट होता है.
पंजाब नेक्टर: नाशपाती की इस किस्म का फल नरम और बड़े आकार का होता है. वहीं, इसके फल देखने में पीले रंग के होते हैं, जिसमें से मीठे रंग का सफेद गुदा निकलता है. जो पकने के बाद बेहद रसीले और मीठे लगते हैं.
पंजाब ब्यूटी: इस किस्म के पेड़ मध्यम आकार के होते हैं, जो सालभर फल देते हैं. इसके प्रत्येक वृक्ष से 80 किलो तक उत्पादन लिया जा सकता है. इसका फल आकार में बड़ा, नरम और स्वाद में मीठा होता है. जुलाई के तीसरे सप्ताह में इसके फल पककर तैयार हो जाते हैं.
यदि कोई किसान नाशपाती की बागवानी या खेती करना चाहता है तो पहले वे टहनियों का कलम लगाए. फिर एक महीने बाद उसकी रीप्लांटिंग करें. यदि खेत के किनारे पेड़ लगाते हैं तो 10-10 फीट की दूरी पर लगाए और यदि पूरे खेत में नाशपाती की खेती करना चाहते हैं तो 20-20 फीट की दूरी पर पेड़ लगाएं.
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