मसालों के रूप में हल्दी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. इसके अलावा आयुर्वेदिक दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों में भी हल्दी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है. वैसे हल्दी की खेती तो पूरे भारत में होती है. लेकिन, अब उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती किसानों के द्वारा खूब की जाने लगी है. आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा हल्दी की 8 किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जिनमें से ND-98 किस में किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. इस किस्म की हल्दी का आकार अन्य किस्मों की तुलना में बड़ा होता है. इसी वजह से इसका उत्पादन भी किसानों को खूब मुनाफा दिला रहा है.
लखनऊ के राजभवन में बीते दिनों आयोजित प्रादेशिक फल ,फूल एवं शाक भाजी प्रदर्शनी में हल्दी की उन्नत किस्मों का प्रदर्शन भी किया गया. वहीं सबसे बड़ी हल्दी को देखकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कृषि वैज्ञानिकों की प्रशंसा की और इसके प्रचार-प्रसार करने का सुझाव भी दिया.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद के मसाला परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया की एक हेक्टेयर जमीन पर हल्दी गानें में 80 से 100000 रुपये तक की लागत आती है, जिसमें बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई और लेबर का खर्च भी शामिल होता है. वहीं उनके विश्वविद्यालय के द्वारा अब तक हल्दी की 8 से ज्यादा किस्में विकसित की जा चुकी है, जिनमें ND -98 पूरे भारतवर्ष के लिए तैयार की गई है. इस हल्दी की किस्म को किसी भी जमीन पर उगाया जा सकता है. इस हल्दी का आकार काफी बड़ा होता है, जिसके कारण इसका उत्पादन भी प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल तक होता है. इस तरह हल्दी इस की उपज के माध्यम से किसान को 6-7 महीने में 500000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है.
हल्दी की खेती किसानों के लिए काफी ज्यादा लाभकारी सिद्ध हो रही है. हल्दी जहां सेहत के साथ-साथ कॉस्मेटिक उत्पादों में प्रयोग की जा रही है, जिसके चलते इसका दाम भी पूरे साल अच्छा मिलता है. प्रति हेक्टेयर हल्दी की खेती में किसान को 400000 रुपये तक का मुनाफा होता है. मसाला परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार बताते हैं कि हल्दी की खेती करके किसान अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें :जलवायु परिवर्तन कृषि के साथ ही आम आदमी को भी कर रहा है प्रभावित
पूरे भारत में हल्दी की कई किस्में प्रचलित है. उत्तर प्रदेश के आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा आठ उन्नत किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जिसमें ND-98 का उत्पादन सबसे ज्यादा है. इस हल्दी की किस्में बीमारियां नहीं लगती हैं . वहीं इसमें करक्यूमिन की मात्रा 4.5 से 6.5 फीसद तक होती है. इस किस्म की हल्दी का उत्पादन 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. वही ND-1 और ND-2 भी उन्नत किस्में है. इसके अलावा ND सरयू एक ऐसी किस्म है, जिसकी खेती उसर भूमि में भी हो सकती है. इसके अलावा आमा हल्दी का सबसे ज्यादा उपयोग आयुर्वेदिक दबाव में हो रहा है. इस हल्दी की खुशबू आम की तरह होती है. इसका खूब अचार बनाया जाता है जो बाजार में काफी महंगा बेचा जाता है.
हल्दी का सेवन सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना गया है. हल्दी को रोग प्रतिरोधी माना जाता है. इसके अलावा हल्दी के सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है. इसके अलावा गुनगुने पानी में हल्दी का पाउडर मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है. वहीं हल्दी के सेवन से मेटाबॉलिज में भी बढ़ता है, जिससे पाचन दुरुस्त होता है. इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी हल्दी के उपयोग से बढ़ती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today