कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है कद्दू की खेती, जानें उन्नत क‍िस्मों से जुड़ी पूरी जानकारी

कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है कद्दू की खेती, जानें उन्नत क‍िस्मों से जुड़ी पूरी जानकारी

कद्दू का सेवन सेहत के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद है. उत्तर प्रदेश के किसानों के द्वारा कद्दू की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. कद्दू की कई ऐसी उन्नत किस्में भी है जिन का उत्पादन काफी ज्यादा होता है. ऐसी ही उन्नत किस्में नरेंद्र अमृत है जो आकार में सामान्य कद्दू से 3 से 4 गुना बड़े रूप में पैदा होती है

Advertisement
 कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है कद्दू की खेती, जानें उन्नत क‍िस्मों से जुड़ी पूरी जानकारी   कद्दू की उन्नत किस्म

देश में किसानों के द्वारा अब ऐसी सब्जियों की खेती को ज्यादा प्राथमिकता मिल रही है, जिसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाला कद्दू भी इसी सूची में शामिल है. हालांकि इसके बीजों काफी ज्यादा मांग रहती है. कद्दू का सेवन सेहत के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद है. उत्तर प्रदेश के किसानों के द्वारा कद्दू की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. कद्दू की कई ऐसी उन्नत किस्में भी है, जिनका उत्पादन काफी ज्यादा होता है. कद्दू की ऐसी ही एक उन्नत किस्म नरेंद्र अमृत भी है. आइए जानते हैं क‍ि नरेंद्र अमृत क‍िस्म की व‍िशेषताएं क्या हैं. साथ ही कद्दू की अन्य क‍िस्मों से जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में जानते हैं.   

20 क‍िलो तक होता है नरेंद्र अमृत क‍िस्म का कद्दू 

नरेंद्र अमृत क‍िस्म का कद्दू आकार में सामान्य कद्दू से 3 से 4 गुना बड़ा होता है. इस क‍िस्म के कद्दू का आकार 15 से 20 किलो तक होता है. राजभवन में आयोजित प्रादेशिक फल फूल एवं साक-भाजी प्रदर्शनी में किसानों के द्वारा उत्पादित कद्दू की उन्नत किस्मों का भी प्रदर्शन किया गया, जिसमें सबसे बड़ी 20 किलो वजन वाली कद्दू का प्रदर्शन किया गया. कद्दू की खेती कम समय और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है.

कद्दू की उन्नत किस्में

कद्दू की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक बड़ा जरिया है. इस सब्जी की कई उन्नत किस्में बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें नरेंद्र अमृत, अर्का सूर्यमुखी,  अंबली , सी एस 14, पूसा हाइब्रिड 1, काशी हरित कद्दू का किसानों के द्वारा खूब प्रयोग किया जा रहा है.

मुनाफे की फसल है कद्दू की खेती

कद्दू को काशीफल के नाम से भी जाना जाता है. पूर्वांचल में कद्दू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. वहीं इसका उपयोग भी खूब होता है. शादी विवाह से लेकर किसी भी बड़े आयोजन में कद्दू की सब्जी के बिना कार्यक्रम अधूरा माना जाता है. वहीं कद्दू की खेती को ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल के रूप में जाना जाता है. बुवाई के 45 दिन के भीतर ही कद्दू का उत्पादन शुरू हो जाता है. कद्दू का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 500 क्विंटल  तक होता है. किसानों को एक हेक्टेयर में 40 से 50000 रुपये तक की कमाई म‍िलती है.

ये भी पढ़ें :Wheat Production: बढ़ते तापमान ने गेहूं उत्पादन और दाम को लेकर बढ़ाई टेंशन, क्या कह रहे हैं व‍िशेषज्ञ?

कद्दू का सेवन सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना गया है. कद्दू में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, वसा और कई तरह के खनिज पाए जाते हैं . इसके अलावा विटामिन ए, विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. कद्दू में अल्फा कैरोटीन पाया जाता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट है इसके अलावा कैंसर रोधी गुण भी इसमें है. कद्दू का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है तथा वजन घटाने में भी यह काफी ज्यादा उपयोगी है.

भूमि एवं उसकी तैयारी

कद्दू की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है.अच्छी पैदावार लेने के लिए दोमट या बलुई दोमट भूमि जिसमें जीवांश की पर्याप्त मात्रा हो तथा उचित जल निकास वाली भूमि सर्वोत्तम रहती है. गंगा- जमुना नदी के दोआब क्षेत्र की कछारी मिट्टी में भी उचित जीवांश मात्रा मिलाकर अच्छी खेती की जाती है. अधिक अम्लीय तथा क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए नुकसानदायक साबित होती है. 6.0 से 7.2 पीएच मान वाली भूमि में अच्छी उपज देती है. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल करना चाहिए. बीज के अंकुरण के समय भूमि का तापमान 18-20 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिये तथा पौधे की वृद्धि एवं विकास हेतु 24-27 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है.

POST A COMMENT