Barren land: ऊसर भूमि में भी पैदा होगा धान, किसानों को इस किस्म से मिलेगी भरपूर पैदावार

Barren land: ऊसर भूमि में भी पैदा होगा धान, किसानों को इस किस्म से मिलेगी भरपूर पैदावार

उत्तर प्रदेश में ऊसर  भूमि सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत जहां कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है तो वही आज भी 13 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की भूमि बची हुई है जिनमें लवणता ज्यादा है. ऐसी भूमि में धान की फसल को लेकर केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा धान की कई ऐसी  किस्म को विकसित किया गया है जो अधिक लवणता भूमि में भी उत्पादन दे सकती हैं. धान की ऐसी ही एक किस्म है सी.एस .आर- 36

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Barren land: ऊसर भूमि में भी पैदा होगा धान, किसानों को इस किस्म से मिलेगी भरपूर पैदावारधान की इस किस्म से ऊसर भूमि में मिलेगी पैदावार

ऊसर भूमि(Barren land)  में फसल से उत्पादन लेना आसान काम नहीं होता है क्योंकि इस तरह की जमीन में लवणता इतनी ज्यादा होती है जिससे पौधे विकास नहीं कर पाते हैं. उत्तर प्रदेश में ऊसर  भूमि सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत जहां कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है तो वही आज भी 13 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की भूमि बची हुई है जिनमें लवणता ज्यादा है. ऐसी भूमि में धान की फसल को लेकर केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा धान की चार  ऐसी  किस्म को विकसित किया गया है जो अधिक लवणता भूमि में भी उत्पादन दे सकती हैं. धान की ऐसी ही एक किस्म है सी.एस .आर- 36. किसानों के लिए धान की यह किस्में किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि जहां ऊसर भूमि में कोई फसल नहीं हो पाती थी अब उस जमीन में धान की पैदावार होगी.

ऊसर भूमि(Barren land) में भी पैदा होगा धान

ऊसर भूमि (Barren land) कृषि विकास के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई है  देश में 37.6 लाख हेक्टेयर भूमि उसर है. प्रदेश में भी हर जनपद में ऊसर भूमि मौजूद है. केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के द्वारा इन भूमि में पैदा की जाने वाली फसल जैसे धान, गेहूं और सरसों की लवण अवरोधी किस्मों को विकसित किया गया है. खरीफ सीजन के अंतर्गत बोई जाने वाली धान की एक ऐसी किस्म को भी संस्थान के द्वारा विकसित किया गया है जो उच्च लवणता वाली भूमि में भी उत्पादन देने में सक्षम है.

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धान की इस किस्म से ऊसर भूमि में मिलेगी पैदावार

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के द्वारा धान की अब तक चार लवण अवरोधी किस्म को विकसित किया गया है जिनमें से सी.एस.आर-36 किस्म शामिल है. केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक रवी किरण ने किसान तक को बताया  कि ऊसर भूमि में धान की अधिक उपज देने वाली  किस्म सी.एस.आर-36  है जो भूमि के पीएच मान 9.8 तक उगाई जा सकती है. इसमें किस्म के पौधों की लंबाई 100 से 110 सेंटीमीटर तथा पकने की अवधि 130 से 135 दिन है. वही इस किस्म के धान के दाने सुंदर, लंबे और पतले होते हैं. यह किस्म सामान्य भूमियों में भी 65 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है तथा ऊसर भूमि में जबकि इस किस्म का उत्पादन 40 से 42 कुंतल प्रति हेक्टेयर है. अधिक उत्पादन क्षमता और ऊसर के प्रति सहनशील एवं कीट एवं रोगों के प्रतिरोधकता के कारण यह किस्म किसानों के बीच काफी प्रचलित है. इस किस्म के धान के बीज संस्थान के लखनऊ कार्यालय में उपलब्ध है. किसान इन बीजों को लेकर अपनी ऊसर भूमि में भी धान की अच्छी पैदावार कर सकता है.

 

 

 

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