अब पंजाब में रबी फसल की बुवाई के दौरान डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कोई किल्लत नहीं होगी. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने सोमवार को किसान यूनियनों को धान की खरीद के अलावा रबी फसलों की बुवाई के लिए डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति का आश्वासन दिया है. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा कि राज्य को अब तक करीब 1.77 लाख मीट्रिक टन डीएपी मिल चुका है. खुदियन ने कहा कि 51,612 मीट्रिक टन डीएपी के बराबर कई फॉस्फेटिक विकल्प भी मिले हैं, जिससे कुल उपलब्धता 2.27 लाख मीट्रिक टन हो गई है. उन्होंने कहा कि यह आवंटन कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की बुवाई की आवश्यकता को पूरा करने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि डीएपी और अन्य उर्वरकों के साथ किसी भी उत्पाद की कालाबाजारी या टैगिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मंत्री ने किसान नेताओं से कहा कि वे ऐसी किसी भी घटना की सूचना दें, ताकि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके. खुदियां ने आगे कहा कि रबी सीजन की मांगों को पूरा करने के लिए अक्टूबर के लिए 2.50 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) डीएपी आवंटित किया गया था. उन्होंने कहा कि राज्य को पहले ही 22,204 मीट्रिक टन मिल चुका है, जबकि 15,000 मीट्रिक टन अभी ट्रांजिट में है.
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मंत्री के अनुसार, पंजाब को करीब 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की उम्मीद है, जिसके लिए करीब 5.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत होगी. पंजाब सरकार ने आगामी रबी सीजन के लिए पंजाब के किसानों के लिए उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पहले केंद्र से संपर्क किया था. बलबीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मानसा, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल, हरमीत सिंह कादियान और रमिंदर सिंह द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए किसान यूनियनों की चिंताओं को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि डीएपी का 60 फीसदी सहकारी समितियों को आवंटित किया जाएगा, जबकि शेष 40 फीसदी उर्वरक डीलरों को जाएगा.
बता दें कि पिछले महीने खबर सामने आई थी कि गेहूं की बुआई के मौसम से पहले ही पंजाब में डीएपी की किल्लत हो गई है. ऐसे में किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. उन्हें डर है कि कहीं गेहूं और सरसों की बुवाई के समय प्रयाप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध न हो. इससे उपज भी प्रभावित हो सकती है. हालांकि, सरकार को उम्मीद है रबी सीजन के दौरान डीएपी की कोई कमी नहीं होगी. किसानों को भूरपूर उर्वरक मिलेगा. ऐसे भी पंजाब में गेहूं की बुआई 15 अक्टूबर के बाद शुरू होती है, जबकि दक्षिण-पश्चिम जिलों में नवंबर के पहले सप्ताह से बुआई शुरू होती है. खास बात यह है कि किसानों के सामने नकली खाद को लेकर भी परेशानी है. क्योंकि प्रदेश में धड़ल्ले से नकली धान बेची जा रही है.
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