इन दिनों खेतों में प्रमुख रबी तिलहन फसल सरसों लगी हुई है. कड़ाके की ठंड में इस फसल में कई रोगों और कीटों का खतरा रहता है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है या कभी-कभी पूरी फसल भी चौपट हो सकती है. ऐसे में आज हम आपको सरसों फसल के दुश्मन, ऐसे कीटों की जानकारी देने जा रहे हैं, जो फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. ये कीट हैं ‘लाही’ और ‘आरा मक्खी’. जानिए आखिर इन कीटों की पहचान और प्रबंधन कैसे करें.
‘लाही’ कीट शिशु और वयस्क अवस्था में सरसों की पत्तियों, तने और फूलों का रस चूसकर नुकसान पहुंचाता है और उत्पादन प्रभावित करता है. लाही कीट पीले, हरे या काले भूरे रंग होता है. यह मुलायम कीट पंखयुक्त और पंखहीन दोनों रूप में होता है,
जो वयस्क और शिशु अवस्था दोनों में ही मुलायम पत्तियों, टहनियों, तनों, फूलों और फलियों का रस चूसता है. इस कीट के हमले के कारण पत्तियां मुड़ जाती हैं.
लाही कीट से सरसों फसल को बचाने के लिए खेत में प्रति हेक्टेयर 10 येलो फेरोमेन ट्रेप का इस्तेमाल करना चाहिए.
लाही से बचाव के लिए प्रति लीटर पानी में एजाडिरेक्टिन 1500 PPM का 5 मिली लीटर का घोल तैयार कर छिड़काव करें. यह एक नीम आधारित कीटनाशी है.
वहीं अगर लाही कीट का प्रकोप ज्यादा बढ़ने लगे तो रासायनिक कीटनाशक ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ईसी का इस्तेमाल करें. इसका 1 एमएल मिश्रण प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
ज्यादा प्रकोप होने पर थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू जी. का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी ने घोल तैयार कर छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. को प्रति तीन लीटर पानी में 1 एमएल मिला लें और इसका छिड़काव करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे.
ये भी पढ़ें - जनवरी में ठंड और पाले से गेहूं-सरसों की फसल को हो सकता है नुकसान, जानिए बचाव के उपाय
वयस्क आरा मक्खी कीट, नारंगी-पीले रंग की होती है और इसका सिर काले रंग का होता है. इसकी मादा का ओभिपोजिटर आरी की तरह दिखता है, जिस वजह से इसका नाम आरा मक्खी पड़ा. ये कीट पौधों की पत्तियां खाकर नुकसान पहुंचाते हैं.
आरा मक्खी के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए भी लाही प्रकोप की तरह ही बचाव के लिए प्रति लीटर पानी में नीम आधारित कीटनाशी एजाडिरेक्टिन 1500 PPM का 5 मिली लीटर का घोल तैयार कर छिड़काव करें.
आरा मक्खी के प्रबंधन के लिए रासायनिक कीटनाशक डायमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी का प्रति मिली लीटर पानी या क्वीनलफॉस 25 प्रतिशत ई. सी. का 1.5 एमएल की दर से प्रति पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today