अब समुद्री शैवाल से होगा फसलों का व‍िकास, इफको साग‍र‍िका करेगा कमाल

अब समुद्री शैवाल से होगा फसलों का व‍िकास, इफको साग‍र‍िका करेगा कमाल

फसलों के ल‍िए इफको कई रसायन का न‍िर्माण करती है. इसी कड़ी में इफको ने सागर‍िका को बाजार में उतारा है. व‍िशेष ये है क‍ि इफको सागर‍िका समुद्री शैवाल से बना हुआ है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

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अब समुद्री शैवाल से होगा फसलों का व‍िकास, इफको साग‍र‍िका करेगा कमाल इफको सागरिका समुद्र के जल में उगने वाले शैवालों के मिश्रण से बनाई जाती है, फोटो साभार: Freepik

देश के कृषि क्षेत्र को नई-नई तकनीक के प्रयोग से पूरी तरह आधुनिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे किसानों के समय और मेहनत की काफी बचत होती है. असल में देश के ज्यादातर किसानों की आर्थिक आय खेती से जुड़ी है. ऐसे में हर किसान खेती से अधिक पैदावार पाना चाहते हैं और आय में वृद्धि करना चाहते हैं. लेक‍िन, अधिक पैदावार के लिए फसलों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए IFFCO ने एक नया उत्पाद लांच क‍िया है. इफको सागरिका नाम का ये रसायन समुद्री शैवाल से बना है, जो फसलों का उत्पादन बढ़ाने में सहायक हो सकता है. आइए जानते हैं क‍ि इफको सागर‍िका क्या है और कैसे ये फसलों के ल‍िए सहायक हो सकता है.

इफको सागरिका

इफको बाजार के अनुसार इफको सागरिका एक जैविक उत्पाद है, जो भारत के दक्षिणी- पूर्वी तटों पर समुद्र के जल में उगने वाले लाल और भूरे रंग के शैवालों से प्राप्त किया जाता है. इसके उपयोग से पौधों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिलता है.

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 इफको बाजार ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से बताया है कि इसमें 28 फीसदी समुद्री शैवालों, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्राकृतिक हार्मोंज, विटामिन जैसे कई तरह के पोषक तत्व हैं. इसका सभी तरह की धान, दलहन, तिलहन, फल, फूल और सब्जियों में छिड़काव  किया जा सकता है, जो पौधों का विकास करता है. इसके अलावा इसके और भी फायदे हैं. 

इफको सागरिका के उपयोग से होने वाले फायदे

IFFCO ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि इसमें समुद्री शैवाल के साथ कई तरह के पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जो पौधों के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं. इसके छिड़काव से पौधों के फल और फूल को बढ़ावा मिलता है, पौधों की आंतरिक क्रिया बढ़ती हैं, इफको सागरिका के छिड़काव से पौधों को विपरीत परिस्थितियों जैसे तापमान और वायुमंडल परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है. इसके अलावा इफको ने बताया कि इसके उपयोग से मिट्टी उपजाऊ क्षमता भी बरकरार रहती है. 

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