परजीवी घास मरगोजा का नाम सुना होगा. नहीं सुना तो जान लीजिए कि फसलों के लिए इतनी खतरनाक कोई घास नहीं हो सकती. यह ऐसी घास या खरपतवार है जो सरसों के पनपने के वक्त ही पूरी तरह से जकड़ लेती है. फिर सरसों के पोषक तत्वों को चूस कर अपनी जिंदगी चलाती है और बाद में पूरी फसल को खत्म कर देती है. अभी रबी सीजन चल रहा है, इसलिए आपको मरगोजा के प्रति सावधान रहना चाहिए. सरसों की बिजाई कर दी है तो बराबर निगरानी करते रहें. कहीं भी इस घास के लक्षण दिखें तो तुरंत उपाय करें.
इस खतरनाक घास का उपाय क्या करना है, हम आपको बताते हैं. इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने दवा तैयार की है. इस दवा की मदद से सरसों के उस पौधे को मुक्त कराया जा सकता है जिसे मरगोजा ने अपनी जगड़ में बांध लिया है. हरियाणा में यह समस्या अधिक देखी जाती है क्योंकि अगेती किस्मों की खेती अधिक होती है जिस पर मरगोजा घास का अटैक भी अधिक होता है.
आइए जान लेते हैं कि मरगोजा घास कैसे पनपती है. दरअसल, सरसों के जमने के एक हफ्ते बाद उसकी जड़ों से ओरोवकोल और अलेक्ट्रोल नामक केमिकल निकलते हैं जो पास में पड़े मरगोजा के बीजों को जमने के लिए उत्तेजित कर देते हैं. इसके बाद मरगोजा घास सरसों की जड़ों को जकड़ना शुरू कर देती है. एक हफ्ते के अंदर मरगोजा घास सरसों की जड़ों पर पूरा नियंत्रण कर लेती है.
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अगेती किस्म की बुवाई के समय तापमान अधिक होता है जिससे मरगोजा के जमने का अच्छा मौका मिल जाता है. फिर सरसों को मिलने वाले पोषक तत्वों को यह घास चूसना शूरू कर देती है.
कई बार लोग समझते हैं कि जिस खेत में मरगोजा का अटैक हो, उसमें सरसों की खेती छोड़ देनी चाहिए. लेकिन आपको जानना चाहिए कि जिस खेत में मरगोजा एक बार पनप जाए, उस खेत में यह खरपतवार 15-20 साल तक रहता है. जैसे ही उसमें सरसों के बीच डाले जाते हैं, यह खर भी उस बीज के साथ पनपना शुरू कर देता है. यह परजीवी है जिसे किसी तरह का माध्यम मिलते ही पनपना शुरू कर देता है और भीतर-भीतर फसल को नष्ट करना शुरू कर देता है.
फिर ऐसे खतरनाक घास का इलाज क्या है? एक्सपर्ट बताते हैं कि मरगोजा से प्रभावित सरसों में ग्लाइफोसेट 41 प्रतिशत 25 मिली प्रति एकड़ बुवाई के 30 दिन बाद 120 से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा 50 मिली ग्लाइफोसेट बुवाई 60 दिन बाद 150 से 200 मिली पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इन दो दवा के इस्तेमाल से मरगोजा पर 80 से 90 प्रतिशत तक नियंत्रण किया जा सकता है.
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मरगोजा के दवाओं का छिड़काव करते वक्त ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी हो. इसके अलावा मौसम साफ हो क्योंकि बारिश होने पर दवा का असर खत्म हो सकता है. दवा का छिड़काव फ्लैट फैन नोजल के जरिये किया जाना चाहिए. छिड़काव करें तो पूरे खेत में एकसाथ छिड़काव करें, इसमें किसी तरह का गैप नही देना है. गैप देने पर फसल को नुकसान हो सकता है.
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