मानव शरीर की तरह पौधों या फसलों को भी पोषक तत्वों की जरूरत होती है. जो उनके उगने, बढ़वार और फिर फल देने में मददगार साबित होते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार पौधों के लिए 17 पोषक तत्व चाहिए होते हैं. इन पोषक तत्वों के अपने-अपने कार्य हैं. लेकिन नाइट्रोजन और फॉस्फोरस सबसे अहम हैं. लेकिन ज्यादा होना भी नुकसानदायक है. पौधों की धीमी वृद्धि और पुरानी पत्तियों का एक समान पीला पड़ना नाइट्रोजन की कमी के लक्षण हैं. जबकि फॉस्फोरस की कमी की वजह सेपौधो की जड़ों का विकास बहुत कम होता है. इसकी अधिक कमी से तने का रंग गहरा पीला पड़ जाता है. चौड़ी पत्ती वाले पौधों में पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है.
नाइट्रोजन की कमी यूरिया से दूर होती है. जबकि फॉस्फोरस की कमी डीएपी से पूरी होती है. ज्यादातर किसान खेतों में डीएपी, एनपीके, यूरिया, पोटाश आदि डालते हैं. कुछ जागरूक किसान जिंक, सल्फर और दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग भी करते हैं. इनमें से कई पोषक तत्व गोबर की खाद, हरी खाद या फिर केंचुआ खाद में होते हैं. जबकि कुछ को अलग से डालना पड़ता है. जो किसान सिर्फ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश ही देते हैं उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसलिए किसानों को संतुलित पोषक तत्व देने चाहिए.
नाइट्रोजन पौधों के लिए महत्वपूर्ण है. यह क्लोरोफिल निर्माण के लिए आवश्यक है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है. नाइट्रोजन पौधे के विकास के लिए आवश्यक है. यह अमीनो एसिड, डीएनए, झिल्ली प्रोटीन, एंजाइम, अधिकांश कोएंजाइम, ऑक्सिन, साइटोकिनिन और केवल कोशिकाओं के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक है.
वैज्ञानिकों का कहना हैं कि सर्दियों के मौसम में अत्यधिक ठंडक की वजह से फसल में भी माइक्रोबियल गतिविधि कम हो जाती है. इसके कारण नाइट्रोजन का उठाव कम होता है. फसल अपने अंदर के नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदल देते हैं. नाइट्रोजन अत्यधिक गतिशील होने के कारण निचली पत्तियों से ऊपरी पत्तियों की ओर चला जाता है. इसलिए निचली पत्तियां पीली हो जाती हैंअगर तापमान बढ़ता है तो गेहूं में नीचे की पत्तियों में पीलापन कम हो जाता है.
भारत में नाइट्रोजन यानी यूरिया और फास्फेटिक उर्वरकों विशेष तौर पर डीएपी के बहुत अधिक इस्तेमाल की वजह से सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो गई है. जिंक, मैग्नीज, बोरान, सल्फर, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम आदि की भारी कमी हो गई है. इसलिए उत्पादकता प्रभावित हो रही है. इसलिए अब कृषि वैज्ञानिक मिट्टी की जांच करवाने के बाद इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी कमी पूरी करने के लिए उससे संबंधित खाद खेत में डालने की अपील कर रहे हैं.
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