केंद्र सरकार दलहन और तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए तेजी से काम कर रही है. दलहन के लिए आईसीएआर के केवीके के जरिए 10,780 हेक्टेयर में दालों के क्लस्टर फ्रंटलाइन प्रदर्शन नीति अपनाई जा रही है. जबकि खरीफ 2024 के लिए दालों की 4.25 लाख मिनीकिट और रबी 2024-25 के लिए दालों की 22.17 लाख मिनीकिट किसानों को आवंटित की गई हैं. जबकि, देशभर में 65 दलहन बीज केंद्र और 50 स्टोरेज यूनिट बनाने का काम चल रहा है. इसके अलावा 13 राज्यों में 130 मॉडल दलहन गांव विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है. इसी तरह तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए इनके उत्पादन, भंडारण और मार्केटिंग को मजबूत किया जा रहा है. अंतरिम बजट में घोषणा की गई थी, सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के लिए एक रणनीति बनाई जा रही है. केंद्रीय बजट 2024-25 में आत्मनिर्भरता लाने के लिए तिलहन और दलहन के संबंध में उत्पादन, भंडारण और मार्केटिंग को मजबूत करने का प्रावधान किया गया है.
तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 से 2030-31 तक 10,103.38 करोड़ रुपये (7,481.67 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ) के आउटले के साथ एक नए कार्यक्रम यानी राष्ट्रीय खाद्य तेल तिलहन मिशन (एनएमईओ-ओएस) के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है. इसके तहत सालाना 10 लाख हेक्टेयर को कवर करते हुए मुफ्त बीज वितरण, किसान प्रशिक्षण, फील्ड स्कूल, मौसम सलाह आदि के लिए 600 फसल विशिष्ट मूल्य श्रृंखला क्लस्टर बनाए जाएंगे.
सालाना 2.8 लाख हेक्टेयर में उन्नत बीज किस्मों और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा 65 बीज केंद्र और 50 स्टोरेज यूनिट स्थापित की जाएंगी. कटाई के बाद वैल्यू चेन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए राज्यों और कारोबारियों का सहयोग किया जाएगा. जबकि, कपास, मक्का, चावल की भूसी से खाद्य तेल निकालने में सुधार के लिए व्यापक स्तर पर काम किया जाएगा. जबकि, 2030-31 तक खाद्य तिलहनों का उत्पादन 69.7 मिलियन मीट्रिक टन, उत्पादकता 2112 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और क्षेत्रफल 33 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ाना है.
दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए आईसीएआर के केवीके के जरिए 10,780 हेक्टेयर में दालों के क्लस्टर फ्रंटलाइन प्रदर्शन (सीएफएलडी) का नया दृष्टिकोण अपनाना लक्ष्य है.खरीफ-2024 के लिए किसानों को एचवाईवीएस दालों की 4.25 लाख मिनीकिट, रबी 2024-25 के लिए दालों की 22.17 लाख मिनीकिट आवंटित की गई हैं. आईसीएआर की ओर से 150 बीज केंद्रों के जरिए 2.25 लाख क्विंटल दालों के उत्तम क्वालिटी के बीजों का उत्पादन किया जा रहा है. केंद्रीय बीज एजेंसियों और आईआईपीआर कानपुर के दलहन बीज केंद्रों के माध्यम से 3.40 लाख क्विंटल प्रमाणित बीजों का उत्पादन किया गया है. इसके साथ ही 13 राज्यों के 65 जिलों में 130 मॉडल दलहन गांव विकसित करने के लिए आईसीएआर की ओर से 'मॉडल दलहन गांव' परियोजना को मंजूरी दी गई.
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