वैसे तो खेत में काम कर रहे किसान (Farmers) के सामने ढेरों चुनौतियां हैं, लेकिन जिस एक बड़ी चुनौती के सामने किसान हार रहे हैं वो है बाजार. बाजार में आकर किसान बेबस हो जाता है. किसान की आंखों के सामने ही उसका सामान बाजार में ग्राहकों को 25 रुपये किलो बेचा जा रहा होता है, लेकिन किसान से वो ही सामान चार से पांच रुपये किलो के भाव से खरीदा जाता है. छोटे किसानों को इससे बचाने के लिए हमे इसकी शुरुआत स्कूल-कॉलेज से करनी होगी. विदेशों में भी इसी पैटर्न पर काम हो रहा है. विदेशी फल-सब्जी के सामने हमे अपने किसानों की फसल को तरजीह देनी होगी. फिर चाहें भाव पांच-दस रुपये किलो ज्यादा ही क्यों न हो. यह कहना है पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (punjab agricultural university), लुधियाना के वाइस चांसलर सतबीर सिंह गोसाल का. एक खास मौके पर किसान तक से बातचीत के दौरान वो किसानों की चुनौतियों पर चर्चा कर रहे थे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today