भारत के अधिकांश किसान पारंपरिक फसलों के उत्पादन से जुड़े हुए हैं और अपने खेतों में गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, गन्ना,कपाल, सरसों, मूंगफली आदि की बुवाई करते हैं. जबकि औषधीय फसलों में सर्पगन्धा, अश्वगंधा, ब्राम्ही, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच, आर्टीमीशिया,लेमनग्रास, अकरकरा, सहजन प्रमुख है. परंपरागत फसलों की खेती की तुलना में औषधीय पौधों की खेती से एक हेक्टेयर में किसानों को ज्यादा आमदनी होती है. इसी क्रम में पटना के रहने वाले कृष्ण प्रसाद पैंतीस बीघा में औषधीय खेती करते हैं. साथ ही करीब चार हजार के आसपास किसानों से खेती करवाते हैं. कृष्ण प्रसाद का कहना है कि इससे मोटी कमाई हो जाती है. देखिए ये वीडियो.
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