उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा गन्ना का उत्पादन करता है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में गन्ने की बड़े पैमाने पर खेती होती है. गन्ने की खास प्रजाति को. 0238 इन दिनों लाल सड़न रोग से प्रभावित होने लगी है. उत्तर प्रदेश के शामली जनपद में किसान इस रोग से काफी पीड़ित है. वही गन्ने की इस प्रजाति के जनक डॉ बख्शी राम ने शामली चीनी मिल के क्षेत्र में कई गांव का दौरा कर किसानों को इस प्रजाति को लाल सड़न रोग से बचाने के टिप्स भी दिए. गन्ने की यह प्रजाति कैराना, गुजरपुर, मायापुरी और फतेहपुर के क्षेत्र में भी किसानों के द्वारा बोई गई है. जिले के कई इलाकों के खेतों में गन्ने में लाल सड़न रोग का प्रकोप पाए जाने की पुष्टि भी हुई है. गन्ने की इस प्रजाति के जनक पद्मश्री से सम्मानित डॉ. बख्शी राम ने किसानों को लाल सड़न रोग की पहचान करने व उनके रोकथाम करने के बारे में सुझाव भी दिए.
गन्ने की प्रजाति को. 238 किसानों के लिए काफी अच्छी प्रजाति मानी जाती है. इस प्रजाति से गन्ने का काफी ज्यादा उत्पादन होता है. वहीं इसमें शर्करा की मात्रा भी ज्यादा पाई जाती है. शामली जनपद में इन दोनों गन्ने की यह प्रजाति कई गांव में लाल सड़न रोग से प्रभावित होने लगी है. इस प्रजाति के जनक पद्मश्री से सम्मानित डॉ. बख्शी राम ने किसानों को लाल सड़न रोग की पहचान करने व उनके रोकथाम करने के बारे में सुझाव दिए है. उन्होंने बताया कि लाल सड़न रोग के लक्षण मई-जून माह में दिखाई देने लगते हैं लेकिन बरसात के बाद जुलाई-अगस्त महीने में इस रोग के लक्षण बहुत तेजी से दिखाई पड़ते हैं. किसान ग्रसित गन्ने के झुंड को उखाड़ कर जला दें अथवा गन्ने के खेत से दूर जाकर उन्हें नष्ट कर दें. उखाड़े गए स्थान पर 10 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर मिट्टी से ढक दें.
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गन्ना रोग विशेषज्ञ डॉ.बख्शी राम ने बताया कि किसानों को ग्रसित गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग से बचने के लिए थिओफिनेट मिथाइल रसायन की 400 ग्राम मात्रा को 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. रोग ग्रसित खेतों की मेड़ को ऊंची कर दें ताकि ग्रसित खेत का पानी दूसरे खेतों में न जाए ताकि दूसरे खेतों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है. डॉ. बख्शी राम ने को.238 प्रजाति के स्थान पर दूसरी रोग रोधी किस्म 015023 वह को. 0118 की बुवाई करने का सुझाव भी दिया है.
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