गर्मी में अपनाएं यह तकनीक, धान को कीट-रोगों से बचाएं और बंपर पैदावार पाएं

गर्मी में अपनाएं यह तकनीक, धान को कीट-रोगों से बचाएं और बंपर पैदावार पाएं

धान की फसल को भूमिजनित कीटों और रोगों से बचाना एक बड़ी चुनौती होती है. इस समस्या से निपटने और बंपर पैदावार लेने के लिए प्रचंड गर्मी के समय खास तकनीक अपनाने की सलाह दी जाती है. यह तकनीक न केवल धान के पौधों को हानिकारक कीटों और विभिन्न रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उनकी बढ़वार और पैदावार में भी सहायक होती है.

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गर्मी में अपनाएं यह तकनीक, धान को कीट-रोगों से बचाएं और बंपर पैदावार पाएंधान की खेती

किसान जब अपनी फसलों की नर्सरी लगाते हैं, तो वे अक्सर भूमि जनित कीट और रोगों के कारण भारी नुकसान झेलते हैं. ये हानिकारक कीटाणु, रोगाणु और निमैटोड खेत की मिट्टी में पहले से ही मौजूद रहते हैं और जैसे ही अनुकूल मौसम मिलता है, नर्सरी की फसलों पर हमला कर देते हैं. अधिकतर किसान इनसे बचाव के लिए केमिकल कीटनाशकों और पेस्टीसाइड्स का उपयोग करते हैं, जो न केवल खेत की मिट्टी की सेहत को खराब करता है, बल्कि पर्यावरण और मानव हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.

हालांकि बीज जनित रोगों की पहचान और उसके रोकथाम की दिशा में काफी प्रगति हुई है, परंतु भूमि जनित रोगों को लेकर अभी भी किसानों में जागरूकता की कमी है. खेत की मिट्टी में छिपे रोग के जनक और कीटों के अंडे, प्यूपा और निमैटोड जैसे फसल के हानिकारक तत्व नर्सरी पौधों को क्षति पहुंचाते हैं, जिससे पूरी फसल प्रभावित हो जाती है.

गर्मी में करें ये काम, कीट-रोगों से मिलेगा छुटकारा 

अधिकतर सब्जी पौधों जैसे मिर्च, टमाटर और बैंगन की जून-जुलाई में नर्सरी तैयार की जाती है, जिनकी छोटे-छोटे पौधों को बाद में खेतों में रोपित किया जाता है. अच्छी फसल तभी मिलती है जब नर्सरी की पौध स्वस्थ और रोगमुक्त हो. नर्सरी में लगने वाले अधिकांश रोग बीजजनित और भूमि जनित होते हैं. धान की नर्सरी से लेकर विभिन्न सब्जियों की नर्सरी तक, रोग, कीट और बीमारियों का प्रकोप अक्सर देखा जाता है, जो बाद में मुख्य खेत तक फैल जाते हैं.

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अप्रैल से जून तक का समय जब वातावरण में तापमान 40°C से 50°C तक पहुंचता है, मृदा सौर्यीकरण (Soil Solarization) के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. यह एक सरल और कम लागत वाली तकनीक है, जिसमें गर्मी का उपयोग करके खेत की मिट्टी में छिपे कीट, रोगाणु और खरपतवारों के बीजों को नष्ट किया जाता है. यह तकनीक खासकर धान, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि की नर्सरी के लिए बेहद असरदार  है.

ये तकनीक दिलाएगी कीट रोगों से मुक्ति 

इसमें उस खेत या स्थान का चयन करें जहां आप नर्सरी लगाने वाले हैं. भूमि को भली-भांति जोतकर छोटी-छोटी क्यारियां बनाएं. हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे. इससे तापमान बढ़ाने में मदद मिलती है. क्यारियों को 200 गेज की पारदर्शी प्लास्टिक शीट से अच्छी तरह ढक दें. प्लास्टिक की चादर के किनारों को मिट्टी से दबा दें ताकि हवा अंदर न जा सके.  इसे 40 से 50 दिनों तक ऐसे ही ढका रहने दें. इस प्रक्रिया से प्लास्टिक के नीचे का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीटों के अंडे, लार्वा, रोगाणु और खरपतवार के बीज पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं.

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मृदा सौर्यीकरण के फायदे अनेक

  • मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगाणु और निमैटोड नष्ट होते हैं.
  • नर्सरी पौधें स्वस्थ और रोगमुक्त रहती हैं.
  • केमिकल दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे लागत कम होती है.
  • खेत की मृदा की उर्वरता सुरक्षित रहती है.
  • मुख्य खेत तक रोगों के फैलाव से बचाव होता है.
  • फसल की उपज की गुणवत्ता और पैदावार दोनों बेहतर होती है.

फसल से अधिक उपज मंत्र, हेल्दी नर्सरी पौध

जून-जुलाई में तैयार होने वाली धान सहित मिर्च, टमाटर, बैंगन  फसल तभी सफल होती है जब नर्सरी पौध स्वस्थ हो. मृदा सौर्यीकरण से यह संभव किया जा सकता है कि बीज लगाने से पहले ही नर्सरी की मृदा कीट रोगों से मुक्त हो जाए और हेल्दी फसल की नींव रखी जा सके. थोड़ी सी समझदारी और प्राकृतिक उपायों को अपनाकर किसान न केवल अपनी नर्सरी पौधों और फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि केमिकल कीटनाशकों से होने वाले खर्च और नुकसान से भी बच सकते हैं. और लागत को घटाया जा सकता है.

 

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