तोरिया की खेती करने के लिए ये सही समय है. जिन किसानों ने खरीफ सीजन की बड़ी फसलें नहीं उगाई हैं वे अपने खेत में तोरई की बुवाई कर सकते हैं. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि तोरई के लिए यह समय इसलिए भी सही है क्योंकि गेहूं की बुवाई तक तोरई फसल कट जाएगी और वे रबी गेहूं की बुवाई कर सकेंगे. लेकिन, तोरई की अच्छी किस्म के बीच का चुनाव बेहद जरूरी है. इसके लिए कृषि एक्सपर्ट ने किसानों को 4 किस्मों के नाम भी सुझाए हैं, जिनकी बुवाई से बंपर उपज हासिल की जा सकती है और मोटा मुनाफा बनाया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को तोरिया खेती के लिए सलाह जारी की है. जिन किसानों ने खरीफ सीजन की बड़ी फसलों जैसे धान, मक्का आदि की बुवाई नहीं की है, उनके लिए तोरई की बुवाई के यह सही समय है. सितंबर के पहले सप्ताह से 50 दिनों तक बुवाई के लिए उपयुक्त समय है. इसके बाद बुवाई करने पर गेहूं की बुवाई में देरी का सामना करना पड़ सकता है.
कृषि एक्सपर्ट ने तोरई की खेती के लिए 4 उन्नत किस्मों की बुवाई की सलाह किसानों को दी है. कृषि एक्सपर्ट ने कहा है कि जिन किसानों ने अपने खेतों में धान, ज्वार, मक्का, लोबिया नहीं बोई है क्योंकि वह गेंहू की फसल भी लेना चाहते हैं तो उन्हें तोरई की उन किस्मों की बुवाई करनी होगी, जो जल्दी कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं.
कृषि एक्सपर्ट ने कहा है कि किसान ऊपर बताई गई तोरिया बीजों की बुवाई करते हैं तो उन्हें कटाई के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा और वह गेहूं की फसल की बुवाई भी समय पर कर पाएंगे. इसके अलावा इन तोरिया किस्मों की उपज अच्छी होती है. साथ ही किसानों को बाजार में दाम भी अच्छा मिलता है.
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