Protected Farming: क्या है संरक्षित खेती, किसानों को कैसे मिलेगा इसका लाभ

Protected Farming: क्या है संरक्षित खेती, किसानों को कैसे मिलेगा इसका लाभ

भारत में संरक्षित खेती का आगमन वर्ष 1980 के दौरान हुआ था. आज वर्तमान में इस तकनीक के प्रचार-प्रसार में चीन के बाद दूसरा स्थान अपने ही देश का है. भारत में संरक्षित कृषि का क्षेत्रफल वर्तमान में लगभग 2.51 लाख हेक्टेयर हो चुका है. इसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड आगे हैं.

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Protected Farming: क्या है संरक्षित खेती, किसानों को कैसे मिलेगा इसका लाभKnow about protected farming

जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह से किसानों को  तापमान और नमी के घटने-बढ़ने, मौसम परिवर्तन, पाला, कोहरा, ओला, हीटवेव, शीत लहर के चलने और कीटों के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इसका समाधान क्या है? कृषि वैज्ञानिक अवनि कुमार सिंह, राजीव कुमार सिंह, प्रवीन कुमार उपाध्याय और सत्यम रावत ने अपने एक लेख में इस सवाल का उत्तर संरक्षित खेती के रूप में दिया है. अब जानते हैं कि संरक्षित खेती क्या है और किसानों को इसका कैसे लाभ मिलेगा. कौन-कौन से राज्य इसमें आगे हैं.

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार संरक्षित खेती एक नई तकनीक है. जिसके माध्यम से फसलों की मांग के अनुसार वातावरण को नियन्त्रित करते हुए सब्जियों, फलों और फूलों की खेती की जा सकती है. इसमें प्राकृतिक प्रकोपों एवं अन्य समस्याओं से फसलों का बचाव किया जाता है और कम से कम क्षेत्रफल में अधिक से अधिक गुणवत्ता वाला उत्पादन लिया जाता है. 

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संरक्षित खेती किसमें होती है

ऐसी खेती पॉलीहाउस, ग्रीन हाउस, पॉलीटनल, सेडनेट हाउस, कीटरोधी जालीघर, एफआरपी शीटहाउस, ग्लास हाउस और लेथ हाउस में की जाती है. इनमें सूरज की पराबैंगनी किरणों से प्रतिरोधी 100-200 माइक्रॉन वाली पारदर्शी शीट, 50 प्रतिशत छाया क्षमता वाला सेडनेट, सनस्क्रीन नेट तथा 40 मेस प्रति स्क्वायर इंच वाली सफेद रंगों वाली कीट अवरोधी जाली आदि का प्रयोग किया जाता है.

भारत में कब शुरू हुई ऐसी खेती

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी खेती में प्रकृति पर कुछ हद तक नियंत्रण रहता है. महंगी फसलों के अधिक उत्पादन के लिए ऐसी खेती की जा सकती है. भारत में संरक्षित खेती का आगमन वर्ष 1980 के दौरान हुआ था. आज वर्तमान में इस तकनीक के प्रचार-प्रसार में चीन के बाद दूसरा स्थान अपने ही देश का है. भारत में संरक्षित कृषि का क्षेत्रफल वर्तमान में लगभग 2.51 लाख हेक्टेयर हो चुका है. इसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड आगे हैं.

किसानों की आय बढ़ा सकती है संरक्षित खेती?

वर्तमान समय में घटती हुई कृषि भूमि, इससे होने वाली कृषि आय में कमी तथा बढ़ती हुई मंहगाई के कारण किसानों की आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जलवायु परिवर्तन बहुत बड़ी बाधा बनता जा रहा है. संरक्षित खेती से जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों को कम किया जा सकता है. इसमें गुणवत्तायुक्त फसलों, फलों, फूलों व पौधों का उत्पादन वर्षभर लिया जा सकता है. इस तकनीक से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है.

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