भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. भारत के किसान गेहूं, धान, मक्का, चना, और सरसों सहित कई तरह की फसलों की बड़े स्तर पर खेती करते हैं. लेकिन किसानों को कीट और नीलगाय से काफी नुकसान उठाना पड़ता है. हर साल हजारों हेक्टेयर में लगी फसल को कीट और नीलगाय बर्बाद कर देते हैं. हालांकि, कई किसान कीट और नीलगाय से फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों का भी इस्तेमाल करते हैं. लेकिन यह काफी खर्चीला होता है. ऐसे में सीमांत किसान कीटनाशकों का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं. लेकिन अब छोटे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम ऐसी देसी तकनीकों के बारे में बात करेंगे, जिसकी मदद से किसान नीलगाय और कीटों से छुटकारा पा सकते हैं.
दरअसल, रात में रोशनी को देखकर नीलगाय खेत में नहीं आती है. इसलिए आप अपने खेत में रात को बल्ब या दीपक जला सकता है. उत्तर प्रदेश और बिहार में कई किसान खेतों में बल्ब और दीपक जालकर नीलगाय और कीटों से फसलों की रक्षा कर रहे हैं. इससे किसानों को काफी फायदा हुआ है. इसलिए आप भी नीलगाय को भगाने के लिए रात को खेतों में बल्ब या दीपक जला सकते हैं. रोशनी को देखकर नीलगाय खेतों में नहीं आएगी. इस तरह आपकी फसल नीलगाय से सुरक्षित रहेगी. वहीं, किसानों का कहना है कि रात को खेत में रोशनी करने से नीलगाय को लगता है वहां पर कोई इंसान बैठा है. इसलिए वे खेतों में नहीं आती हैं.
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वहीं, किसानों का कहना है कि खेत में दीपक जलाने से कीट-पतंग भी कम हो जाते हैं. दीपक की रोशने से आकर्षित होकर कीट इसके आसपास मडराने लगते हैं और आग की लौ में जलकर नष्ट हो जाते हैं. ऐस में खेत में दीपक जलाने से नीलगाय के साथ- साथ कीटों से भी राहत मिलती है. अगर किसान चाहें, तो घरेलू दवाई बनाकर भी फसल को नीलगाय और कीटों से सुरक्षित कर सकते हैं. इसके लिए किसानों को पांच लीटर गोमूत्र, एक किलो नीलगाय का गोबर, ढाई किलो बकाईन की पत्ती, ढाई किलो नीम की पत्ती, एक किलो धतूरा, एक किलो मदार की पत्ती, 250 ग्राम पत्ता सुर्ती, 250 ग्राम लाल मिर्च का बीज और 250 ग्राम लहसुन को आपस में मिला दें. इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डालकर 25 दिनों के लिए प्रिजर्व कर दें.
खास बात यह है कि प्रिजर्व करने के लिए मिट्टी के पात्र का मुंह अच्छी तरह से बंद कर दें, ताकि इसमें हवा प्रवेश नहीं कर पाए. साथ ही उस पात्र का 1.3 हिस्सा खाली रहना चाहिए. क्योंकि फ्रेगमेंटेशन के बाद कार्बनिक गैस बनने से बर्तन फट भी सकता है. वहीं, 25 दिन के बाद आप मिट्टी का मुंह खोल दें और मिश्रण का दूसरे बर्तन में निकाल दें. 25 दिन सड़ने के बाद यह मिश्रण गंधयुक्त एक जैवी दवा बन जाएगी. इसके बाद आप 50 फीसदी दवा को 100 लीटर पानी में मिला दें. फिर आप 250 ग्राम सर्फ मिलाकर प्रति बीघा छिड़काव करें. इसके गंध से कोई भी जानवर आपके खेत के नजदीक भी नहीं आएगा.
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