प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी और मसाला फसल है. इस समय इसका दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश एवं बिहार प्रमुख हैं. महाराष्ट्र देश का पहला और मध्य प्रदेश दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. दोनों में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती होती है. लेकिन, इस समय चूंकि अच्छा दाम मिल रहा है इसलिए इसकी खेती में लापरवाही करना बड़ा आर्थिक नुकसान कर जाएगा. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में प्याज रोपने के बाद तुरंत सिंचाई कर दें, क्योंकि अगर पानी नहीं मिला तो गर्मी में पौधे मर सकते हैं.
अप्रैल और मई तक रबी सीजन का प्याज खेतों से निकलकर मंडियों और स्टोर में पहुंच चुका है. अब खरीफ सीजन के प्याज की रोपाई का मौसम चल रहा है. जिसकी किसान तैयारी कर रहे हैं. प्याज ठंडे मौसम की फसल है, लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता है. आईए जानते हैं कि इसकी खेती के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
यद्यपि प्याज ठण्डे मौसम की फसल हैं, लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता हैं.कंद निर्माण के पूर्व प्याज की फसल के लिए लगभग 210से. ग्रे. तापक्रम उपयुक्त माना जाता है.जबकि शल्क कंदों में विकास के लिए 150 से. ग्रे. से 250 से. ग्रे. का तापक्रम उत्तम रहता हैं.
प्याज की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है,प्याज की खेती के लिए उचित जलनिकास एवं जीवांषयुक्त उपजाऊ दोमट तथा वलूई दोमट भूमिजिसका पी.एच. मान 6.5-7.5 के मध्य हो सर्वोत्तम होती है, प्याज को अधिक क्षारीय या दलदली मृदाओं में नही उगाना चाहिए.
एग्री फाउण्ड डार्क रेड
यह किस्म भारत में सभी क्षैत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है.इसके शल्क कन्द गोलाकार, 4-6 सेमी. आकार वाले, परिपक्वता अवधि 95-110, औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर .यह किस्म खरीफ प्याज(वर्षात की प्याज ) उगाने के लिए अनुसंशित है.
2. एन-53
भारत के सभी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है, इसकी परिपक्वता अवधि 140 दिन, औसत उपज 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, इसे खरीफ प्याज (वर्षातकी प्याज) उगाने हेतु अनुसंशित किस्म हैं.
भीमा सुपर:
यह किस्म भी खरीफ एवं पिछेती खरीफ के लिये उपयुक्त है.यह किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 250-300 किवंटल तक उपज देती है.
प्याज के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व हैं.खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना चाहिए.इसके उपरान्त 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर या हैरा से करें, प्रत्येक जुताई के पश्चात् पाटा अवश्य लगाऐं जिससे नमी सुरक्षित रहें तथा साथ ही मिट्टी भुर-भुरी हो जाऐ.भूमि को सतह से 15 से.मी. उंचाई पर 1.2 मीटर चैड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है अतः खेत को रेज्ड-बेड सिस्टम से तैयार किया जाना चाहिए.
खरीफ मौसम हेतु पौधशाला शैय्या पर बीजों की पंक्तियों में बुवाई 1-15 जून तक कर देना चाहिए, जब पौध 45 दिन की हो जाऐ तो उसकी रोपाई कर देना उत्तम माना जाता हैं.पौध की रोपाई कूड़ शैय्या पद्धिति से तैयार खेतों पर करना चाहिए, इसमें 1.2 मीटर चैड़ी शैय्या एवं लगभग 30 से.मी. चैड़ी नाली तैयार की जाती हैं.
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