भारत एक कृषि प्रधान देश है और ज्यादातर किसान बारिश पर ही निर्भर रहते हैं. लेकिन हाल के कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का मिजाज अक्सर बदलता रहता है. कभी बेमौसम बारिश फसलों को नुकसान पहुंचाती है तो कभी लंबा सूखा पड़ने से फसलें सूख जाती हैं. ऐसे हालातों में किसानों के लिए फसलों की सुरक्षा करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. ऐसे में किसानों को यह जानना बेहद जरूरी है कि वो बेमौसम बारिश या सूखे के दौरान अपनी फसलों को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं.
बेमौसम बारिश हो या फिर सूखे की स्थिति, दोनों ही प्राकृतिक आपदाएं हैं. लेकिन अगर सही समय पर सही उपाय किए जाएं तो किसान इनसे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं. नीचे हम आपको इन्हीं कुछ उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं.
सूखे के समय सबसे बड़ा संकट पानी की कमी होता है. इस समस्या से निपटने के लिए किसान रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की तकनीक अपना सकते हैं. इसके अलावा ड्रिप यानी टपक सिंचाई और स्प्रिंकल इरीगेशन मैथेड से भी पानी की बचत के साथ-साथ फसलों को सही मात्रा में पानी दिया जा सकता है.
सूखा पड़ने पर मिट्टी में नमी की कमी हो जाती है. ऐसे में जैविक खाद, गोबर खाद और मल्चिंग तकनीक का प्रयोग करके मिट्टी की नमी को बनाए रखा जा सकता है. मल्चिंग में फसल की जड़ों के पास भूसा, पत्तियां या प्लास्टिक की परत बिछा दी जाती है जिससे इवैपोरेशन या वाष्पीकरण कम होता है.
आजकल वैज्ञानिकों ने ऐसे बीज विकसित किए हैं जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देते हैं और मौसम की मार सहन करने में सक्षम होते हैं. सूखा प्रतिरोधी और ज्यादा बारिश सहनशील किस्मों का प्रयोग करना फसलों की सुरक्षा के लिए फायदेमंद होता है.
प्राकृतिक आपदाओं से फसल अगर नष्ट हो जाए तो बहुत आर्थिक नुकसान होता है. इससे बचने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएं. इससे नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा मिल सकता है.
बेमौसम बारिश के दौरान खेतों में पानी भर जाने से फसलें सड़ सकती हैं. ऐसे में खेतों में पानी निकलने की सही व्यवस्था होनी चाहिए. वहीं सूखे की स्थिति में समय पर सिंचाई बहुत जरूरी है. बारिश के मौसम में खेतों को हल्का ढालदार बनाकर पानी की निकासी सही तरह से की जा सकती है.
सरकार और प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशंस की तरफ से मौसम पूर्वानुमान सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं. किसान इन सेवाओं का प्रयोग करके फसल की बुवाई, सिंचाई, कीटनाशक छिड़काव जैसे कामों की योजना बना सकते हैं.
केवल एक ही फसल पर निर्भर न रहें बल्कि मिश्रित खेती और इंटरक्रॉपिंग सिस्टम को अपनाना चाहिए. इससे एक फसल के खराब होने पर दूसरी से कुछ न कुछ उत्पादन जरूर हासिल हो सकता है.
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