भारत में मछली पालन आज एक बड़े व्यवसाय के तौर पर मशहूर है. गांवों से लेकर बड़े शहरों में भी बड़े पैमाने पर तालाबों में मछलीपालन किया जा रहा है. मछली पालन में तालाब एक बड़ा रोल अदा करता है. तालाब का पानी, मछलियों के स्वास्थ्य और इस व्यवसाय में लगे लोगों की आय को निर्धारित करने में बड़ा योगदान देता है. वहीं कई ऐसी वजहें होती हैं जिसकी वजह से तालाब का पानी कभी-कभी मछलियों की मौत की वजह तक बन सकता है. इनमें से ही एक है तालाब के पानी का तापमान. आज हम आपको बताते हैं कि अगर तालाब का पानी गर्म होगा तो वह किस तरह से मछलियों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है.
ऐसा माना जाता है कि तालाब की ऊपरी सतह पर जो पानी होता है, उसमें ऑक्सीजन की मात्रा काफी होती है. अगर मछलियों को यह ऑक्सीजन कम मात्रा में मिलती है तो वो सतह पर आकर सांस लेने की कोशिशें करती हैं. अक्सर आपने कभी-कभी तालाब में सूरज ढलने से पहले या फिर बारिश के मौसम में घने बादल होने पर मछलियों को तालाब की ऊपरी सतह पर आकर सांस लेते हुए देखा होगा. कई बार तो ऐसी स्थितियों में मछलियों की मौत तक हो जाती है. तालाब में ऑक्सीजन की कमी के कई कारण होते हैं और पानी का गर्म होना उसमें से ही एक है.
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हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि तालाब का पानी बहुत ज्यादा गर्म न होने पाए. लेकिन अक्सर गर्मी के मौसम में तालाब का पानी बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है. ध्यान रखें कि पानी जितना ज्यादा गर्म होगा, उसमें ऑक्सीजन की मात्रा उतनी ही कम होगी. इसलिए पानी का तापमान जरूर चेक करते रहें. तालाब के पानी का तापमान करीब 24 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहना चाहिए.
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अगर पानी का तापमान ज्यादा है तो हाइड्रोजन सल्फाइड की मात्रा की वजह से पानी जहरीला हो सकता है. पानी में घुली हुई ऑक्सीजन भी हाइड्रोजन सल्फाइड के हानिकारक प्रभाव में बड़ी भूमिका निभाती है. मछलियों में हाइड्रोजन सल्फाइड की वजह से उनके फेफड़ों को नुकसान होता है. यह गैस फेफड़ों में चिपक जाती है और ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से मछलियों की मौत तक हो जाती है. सुबह के समय सूरज निकलने से पहले एयरेशन डिवाइसेज की मदद से ऑक्सीजन को बढ़ाएं. साथ ही नियमित तौर पर पानी को बदलना भी फायदेमंद होता है.
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