औद्यानिक फसलों (Horticulture farming) के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हर जनपद को लक्ष्य आवंटित किया है. छोटी जोत वाले किसानों को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से 75 से 90 फ़ीसदी तक अनुदान भी दिया जा रहा है. प्रदेश के छोटे किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार ने अनुसूचित एवं जनजाति वाले छोटी जोत के किसानों के लिए विशेष कंपोनेंट प्लान योजना संचालित की है. इस योजना के तहत किसानों को 90 फ़ीसदी की सब्सिडी भी दी जा रही है. उत्तर प्रदेश के सरकार के द्वारा सब्सिडी की एवज में किसानों को प्रमाणित फसलों के बीज एवं उपकरण देने का निर्णय लिया गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा औद्यानिक खेती(Horticulture farming) करने वाले किसानों को विशेष फायदा पहुंचाने की योजना संचालित की जा रही है. पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ समेत कई जनपदों में गन्ने की खेती होती है. छोटी जोत के किसान गन्ने की खेती नहीं करना चाहते हैं क्योंकि यह फसल पूरे 1 साल की होती है जबकि सब्जी और फल की खेती से किसान एक साल में कई फसल के माध्यम से ज्यादा लाभ ले सकते हैं.
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मेरठ के जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि उद्यान विभाग की योजना का लाभ लेने के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए हैं. किसानों को अपने खेत की खतौनी, आधार कार्ड, बैंक की पासबुक जिस पर खाता नंबर लिखा हो और दो पासपोर्ट साइज के फोटो के साथ आवेदन भरना होगा. शीघ्र ही शासन स्तर पर प्रमाणित बीजों के टेंडर की प्रक्रिया होनी है जिसके बाद चयनित किसानों को योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.
फसल लक्ष्य हेक्टेयर में
शंकर लौकी 4
शंकर टमाटर 4
मसाला मिर्च 5
आईपीएम 5
शिमला मिर्च 2
प्याज 2
गुलाब 2
गेंदा 4
मोम पालन 25
बुंदेलखंड का पूरा इलाका हाई रेटेड औद्यानिक फसलों का केंद्र बनने की राह पर है. बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न प्रजातियों के फलों पर हुए शोध के परिणाम चौकाने वाले मिले हैं. बुंदेलखंड पारंपरिक रूप से दलहन का कटोरा कहा जाता है यहां विशेष प्रजाति के फलों का भी बड़ा केंद्र बन रहा है. बुंदेलखंड में अंजीर ,चिरौंजी, खजूर , ड्रैगन फ्रूट जैसे हाई रेटेड फल को शामिल किया गया है जिससे यहां के किसान परंपरागत खेती के मुकाबले चार गुना ज्यादा फायदा ले सकते हैं.
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