हिमाचल और उत्तराखंड में बीते सप्ताह हुई बारिश से मिट्टी में नमी बढ़ते ही बागवानी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है. बागवानी उत्पादकों ने सेब, कीवी और जापानी फल का प्लांटेशन शुरू कर दिया है. हिमाचल के किन्नौर समेत अन्य इलाकों में अंगूर का प्लांटेशन शुरू कर दिया गया है. मौसम विज्ञानियों ने अनियमित मौसम से फसल को नुकसान से बचाने के उपाय अपनाने की सलाह किसानों को दी है. इसके साथ ही आर्थिक नुकसान से बचने के लिए मल्टी क्रॉप और इंटीग्रेशन फार्मिंग फॉर्मूला अपनाने की सलाह दी है.
हिमाचल में बीते सप्ताह बारिश के बाद मिट्टी में मॉइस्चर की मात्रा बढ़ी है. जबकि, बर्फबारी से मौसम ठंडा हो गया है. यह सेब, कीवी, जापानी फल पेरसीमॉन (Persimmon), प्लम, अखरोट समेत अन्य फलों की खेती के लिए बागानों में प्लांटेशन की शुरूआत हो चुकी है. कुछ इलाकों को छोड़कर उत्पादक सेब की खेती की ओर रुचि बढ़ा रहे हैं. मिट्टी में नमी बढ़ने के साथ ही हिमाचल के किन्नौर में अंगूर का प्लांटेशन शुरू हो चुका है. जबकि, ताबो इलाके में सेब की बुवाई शुरू हो गई है. चेरी, एप्रीकोट, नाशपाती, खुरमानी, आड़ू, अंजीर, अनार के प्लांटेशन एक्टिविटी भी शुरू हो रही हैं.
हिमाचल की वाईएस परमार हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इनवॉयरमेंट के हेड डॉ. एसके भारद्वाज ने 'किसान तक' को बताया कि बीते सप्ताह से कई बार हल्की बारिश हो चुकी है. इस वजह से मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ी है, जो बागवानी फसलों के प्लांटेशन के लिए सही है. नमी से पानी की जरूरत कम रहने के चलते उत्पादकों ने फलों का प्लांटेशन शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा बारिश और होती है तो नई प्लांटेशन एक्टिविटी और तेज हो जाएंगी.
उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में दिसंबर से फरवरी तक फलों की खेती के लिए प्लांटेशन एक्टिविटी होती हैं. सबसे ज्यादा प्लांटेशन जनवरी में तेजी पकड़ता है. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में बर्फबारी ज्यादा होती है वहां कुछ फलों की किस्मों का प्लांटेशन मार्च में भी होता है. क्योंकि, बर्फ के चलते पौधों की ग्रोथ रुकने का डर रहता है. फिलहाल सेब, कीवी, जापानी फल परसीमन, प्लम, अखरोट प्लांटेशन हो रहा है. बागानों में जो पुराने पौधे हैं उनके लिए यह प्रूनिंग यानी कटाई-छंटाई का समय है. किसान बागानों में
डॉ. एसके भारद्वाज ने कहा कि क्लाइमेट बदलाव को देखते हुए किसानों को सलाह दी है कि सब्जी फसलों के अलावा, गेहूं, मक्का की खेती करनी चाहिए. सालाना क्रॉप जैसे सब्जियों की खेती के लिए सूखे की स्थिति का ध्यान रखना जरूरी है. जबकि, फलों के बागानों में मल्टी क्रॉप और फसलों का इंटीग्रेशन करना बेहतर होगा. क्लाइमेट को देखते हुए लाइव स्टॉक कंपोनेंट पर भी किसान ध्यान दें. उन्होंने कहा कि सब ट्रॉपिकल फलों की खेती जैसे अमरूद, आम की खेती भी किसान कर रहे हैं, जो उन्हें क्लाइमेट बदलाव को देखते हुए फायदा पहुंचाएगा.
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