मध्य प्रदेश के 24 जिलों के किसानों को धनिया, मटर समेत दूसरी फसलों की बंपर पैदावार के तरीके बताने के लिए कृषि सलाहकार कंपनी ग्राम उन्नति (Gram Unnati) ट्रेनिंग दे रही है. कंपनी मध्य प्रदेश के बाद बाकी बचे दूसरे राज्यों में भी किसानों को आधुनिक खेती के तरीके अपनाकर लागत घटाने और उपज बढ़ाने के तरीके बताएगी. किसानों के लिए यह ट्रेनिंग राष्ट्रीय सतत मसाला (NSSP) कार्यक्रम के तहत आयोजित की जा रही है.
देश के 7 राज्यों में 2 लाख किसानों के साथ उपज बढ़ोत्तरी में मदद कर रही कृषि सलाहकार कंपनी ग्राम उन्नति ने मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में राष्ट्रीय सतत मसाला कार्यक्रम (एनएसएसपी) के साथ मिलकर 25 से अधिक गांवों के किसानों टिकाऊ खेती के तरीके बताए. स्थानीय पीएनबी किसान प्रशिक्षण संस्थान में किसानों को धनिया की टिकाऊ खेती के बारे में ट्रेनिंग दी गई. कार्यक्रम में विदिशा और ग्यारसपुर ब्लॉक के 25 गांवों के किसानों ने भाग लिया. जबकि, राज्य के 24 जिलों में ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. NSSP और ग्राम उन्नति की ओर से धनिया और मटर के लिए सामग्री भी वितरित की गई. धनिया की खेती में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया गया.
राष्ट्रीय सतत मसाला (NSSP) कार्यक्रम के प्रोफेसर और मुख्य प्रशिक्षक डॉ. तख्त सिंह राजपुरोहित ने किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) अपनाने के लाभों पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि कैसे कम लागत में गुणवत्तापूर्ण खेती हासिल की जा सकती है, जिससे किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं. उन्होंने जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियां अपनाने की सलाह दी. मिट्टी और जल संरक्षण, प्रमाणित बीजों के इस्तेमाल के साथ ही फसल को रोगों से बचाने के लिए ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल का तरीका भी बताया है.
प्रोफेसर डॉ. तख्त सिंह राजपुरोहित ने कहा कि फसलों में कीट प्रबंधन के लिए जैविक उपायों का इस्तेमाल किसान करें. उन्होंने कहा कि किसान नीम आधारित स्प्रे, वर्मीकम्पोस्ट, वर्मीवाश, और पंचगव्य के जरिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं, जिससे फसल उपज भी बढ़ेगी. यह तरीका किसानों का केमिकल उत्पादों पर होने वाला अधिक खर्च भी बचाएगा.
विदिशा कृषि विभाग के उप संचालक डॉ. केएस खपेडिया ने किसानों को फसल विविधीकरण योजना का लाभ लेने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि गेहूं किसान नए सीजन में गेहूं की बजाय धनिया की खेती करें. इससे उनके खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, भूजल स्तर ठीक रहेगा और उपज ज्यादा मिलेगी. उन्होंने किसानों को फसल चक्र अपनाने तथा धनिया जैसी अधिक कमाई देने वाली फसलों की खेती ज्यादा करने पर जोर दिया. रायसेन जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में उद्यानिकी विभाग में वैज्ञानिक डॉ. मुकुल विश्नोई ने मसाला, औषधीय एवं बागवानी फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया. उन्होंने किसानों से कहा कि वह उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर फसल की लागत को घटा सकते हैं.
ग्राम उन्नति के परियोजना निदेशक सुशील यादव ने किसानों को हानिकारक कीटों और बीमारियों से फसलों की रक्षा के लिए धनिया की खेती के पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज (पीओपी) के बारे में जानकारी दी. उन्होंने फसल कटाई के बाद देखभाल और उन्नत ग्रेडिंग तकनीक (डबल, सिंगल तोता, ईगल, स्कूटर, आदि) पर की जानकारी दी. उन्होंने भौरिया गांव में धनिया के खेतों का दौरा कर किसानों को फसल की अतिरिक्त देखभाल, कीट और रोग नियंत्रण के साथ ही फसल सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी. कार्यक्रम में धनिया, आईपीएम पद्धतियों, धनिया के मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स, उन्नत ग्रेडिंग तकनीक और कीट, रोग रोकथाम उपायों पर साहित्य सामग्री किसानों को दी.
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