भारत में मक्के की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वही मक्के के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नैनो फर्टिलाइजर तैयार किया है जिसके उपयोग से पौधों की लंबाई ही नहीं बढ़ती बल्कि दानों का वजन और उसकी गुणवत्ता भी बढ़ जाती है. यहां तक कि इस नैनो फ़र्टिलाइज़र के उपयोग से उत्पादन में भी 10 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है. फिलहाल इस खाद के फार्मूले के पेटेंट की तैयारी हो गई है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा शोध पत्र को 3 से 5 दिसंबर तक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में भी प्रस्तुत किया जाएगा.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के शोध करने वाले वैज्ञानिक प्रोफेसर के. एन उत्तम और उनके शोधार्थी छात्र आराधना त्रिपाठी, छवि, वरुण, ऐश्वर्या और श्वेता वर्मा ने प्रयोगशाला में ही एक ऐसे नैनो फर्टिलाइजर को विकसित किया है जो मक्के के पौधों के लिए विशेष उपयोगी है. मक्के के पौधों पर इसका प्रयोग किया गया तो इससे पौधे न सिर्फ लंबे हुए बल्कि मक्के के दाने का वजन बढ़ गया.
यहां तक कि उत्पादन में भी 10 फ़ीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है. खाद के प्रयोग से वैज्ञानिकों ने मक्के के पौधे में मौजूद सैलूलोज, लिगनिन, प्रोटीन ,पेक्टिन, केरोटिनोयड, कार्बोहाइड्रेट और एलिफैटिक जैसे जैव रासायनिक यौगिक में भी वृद्धि करने में सफलता मिली है. भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर के.एन उत्तम ने बताया कि यह नैनो खाद सिर्फ मक्के के लिए तैयार की गई है. इससे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा. दुनिया में मक्के की खेती में भारत तीसरे स्थान पर है. मक्के से रोटी, कुकीज, बिस्किट, नमकीन जैसे खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं. गुणवत्ता के साथ-साथ मक्के का उत्पादन भी बढ़ेगा जिससे किसानों को फायदा होगा.
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग की लैब में तैयार की गई यह नैनो खाद इफको की नैनो यूरिया और नैनो डीएपी से बिल्कुल अलग है. प्रोफेसर के.एन उत्तम की लैब में इसे तैयार किया गया है. अब इस नैनो खाद के पेटेंट की भी तैयारी की जा रही है. प्रोफेसर के.एन उत्तम ने बताया कि लैब में जैव रसायनों का विश्लेषण करने पर पता चला कि आयरन ऑक्साइड के उपयोग से पत्तियों में उपस्थित जैव रासायनिक यौगिक में बढ़ोतरी हुई. इन्हीं यौगिकों के बढ़ने से मक्के के पौधे की लंबाई, वजन और गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादन में भी वृद्धि हुई.
भारत मक्का के उत्पादन में विश्व में तीसरा स्थान रखता है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर मक्के का उत्पादन होता है. वर्तमान समय में मक्के का उपयोग कई तरह से किया जा रहा है. मक्के के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई विशेष नैनो खाद से न सिर्फ लंबाई बल्कि मक्के का उत्पादन भी बढ़ेगा. यह नैनो खाद किसानों के लिए काफी ज्यादा उपयोगी होगी क्योंकि इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
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