भारत कृषी प्रधान देश है. यहां अनाज और खेती को बड़ा स्थान दिया गया है. देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से खेती की जाती है. वही देश में कृषि का महत्व भी काफी रहा है. लेकिन बदलते समय के साथ खेती में चुनौतियां भी बढ़ी हैं. इसमें किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या मिट्टी है, क्योंकि बीज बोने से पहले मिट्टी की जांच जरूरी होती है. ताकि पता चल सके कि यह मिट्टी खेती करने लायक है या नहीं.
डॉ. राजुल पाटकर जो आईआईटी बॉम्बे में कार्यरत हैं. किसानों की इस समस्या को हल करने के लिए मृदा स्वास्थ्य परीक्षण उपकरण न्यूट्रीसेंस बनाया गया है. यह मशीन छह मापदंडों पर मिट्टी का परीक्षण कर कुछ ही मिनटों में परिणाम देती है और मिट्टी की सेहत के बारे में बताती है.
यह निर्धारित करने के लिए कि मिट्टी को किस उर्वरक की आवश्यकता है. किसान मिट्टी का परीक्षण करवाते हैं. लेकिन परिणाम मिलने में आमतौर पर लगभग 15 दिन लग जाते हैं. डॉ. राजुल पाटकर द्वारा बनाया गया. वही न्यूट्रीसेंस कुछ ही मिनटों में परिणाम देता है. जिससे किसानों को भी काफी मदद मिलेगी.
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इस उपकरण का उपयोग करने और मिट्टी का परीक्षण करने के लिए सबसे पहले एक ग्राम मिट्टी का उपयोग करके एक नमूना तैयार किया जाता है. जिसके बाद 3 मिलीलीटर एजेंट घोल को एक छोटी शीशी में डाला जाता है. जो मिट्टी में मिल जाता है. जिसके बाद मिट्टी को सख्त होने के लिए करीब आधे घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है. जब तक स्पष्ट समाधान नजर नहीं आता. इसके बाद सेंसर पर घोल की एक बूंद डाली जाती है.यह उपकरण सभी छह मापदंडों पर मिट्टी का परीक्षण करने में सक्षम है.
इस उपकरण की सहायता से मिट्टी की जांच करने में लगभग पांच मिनट का समय लगता है, जिसके बाद परिणाम सामने आता है और मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार हो जाता है, जो तुरंत मोबाइल फोन पर डाउनलोड हो जाता है. जा सकता है. (पारस हरेंद्र दामा की रिपोर्ट)
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