खेती में जोखिम होंगे कम और बढ़ेगी पैदावार, जानिए स्मार्टफोन तकनीक खेती में कैसे है मददगार?

खेती में जोखिम होंगे कम और बढ़ेगी पैदावार, जानिए स्मार्टफोन तकनीक खेती में कैसे है मददगार?

स्मार्टफोन सेंसर्स के द्वारा मिट्टी और वातावरण के मापदंडों की निगरानी करने से खेती करने वालों को सही समय पर और सही निर्णयों के लिए डेटा प्राप्त होता है. इस प्रकार, स्मार्ट तकनीक ने कृषि सेक्टर में एक नया क्षेत्र खोला है, जो बुवाई से लेकर कटाई तक कई प्रक्रियाओं में सुधार कर सकता है. स्मार्टफोन तकनीक से खेती में काफी फायदा मिल रहा है. 

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खेती में जोखिम होंगे कम और बढ़ेगी पैदावार, जानिए स्मार्टफोन तकनीक खेती में कैसे है मददगार?स्मार्टफोन आधारित स्मार्ट खेती

बढ़ती जनसख्या को भोजन पहुंचाने के लिए कृषि में आईओटी और स्मार्ट एग्रीकल्चर का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. इसमें इंटरनेट ऑफ थिंक्स यानी (आईओटी) औऱ स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीक का कृषि में इस्तेमाल कई स्तर पर करके बड़ा फर्क पैदा किया जा सकता है. आईओटी पर आधारित खेती तकनीक से फसलों के उर्वरक, पानी और ऊर्जा का सही तरीके से प्रबंधन करना संभव है, जिससे बेहतर पैदावार हो सकती है. स्मार्ट फोन सेंसर्स के द्वारा मिट्टी और वातावरण के मापदंडों की निगरानी करने से खेती करने वालों को सही समय पर और सही निर्णयों के लिए डेटा प्राप्त होता है. इस प्रकार, स्मार्ट तकनीक ने कृषि सेक्टर में एक नया क्षेत्र खोला है, जो बुवाई से लेकर कटाई तक कई प्रक्रियाओं में सुधार कर सकता है. स्मार्ट फोन तकनीक से खेती में काफी फायदा मिल रहा है.

स्मार्टफोन से खेती का काम आसान

स्मार्टफोन खेती के लिए भी काफी कारगर साबित हो रहे हैं. इसे डेटाबेस में अपलोड कर सकते हैं. जहां कोई विशेषज्ञ रंग और अन्य गुणों के आधार पर फसल की परिपक्वता का आकलन कर सकता है. स्मार्टफोन सेंसर के माध्यम से मशीन से नियंत्रित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कीटनाशक, फसल प्रजनन और आनुवंशिक अनुसंधान की सुविधा आसान की जा रही है. स्मार्टफोन आधारित सेंसर के दो मुख्य भाग होते हैं, पहला स्मार्टफोन होता है और दूसरा सेंसर होता है. सेंसर स्मार्टफोन से तो आप न केवल फोन कॉल और टेक्स्ट संदेश भेज सकते हैं, बल्कि आप कई अन्य चीजें भी कर सकते हैं. जैसे आप इंटरनेट चला सकते हैं और तस्वीरें ले सकते हैं. सेंसर एक डिवाइस है. सेंसर मात्रा के आधार पर सिग्नल भेजते है और यह सिग्नल स्मार्टफोन द्वारा पढ़ा और इस्तेमाल किया जा सकता है.

खेती के लिए पांच तरह के स्मार्टफोन सेंसर

मोशन सेंसर (Motion Sensor)-मोशन सेंसर उपयोगकर्ता की गति या हलचल को ट्रैक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. खेती में, इसे बागवानी की मशीनरी या स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम्स को सक्रिय करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

इमेज सेंसर (Image Sensor)- इमेज सेंसर कैमरा के रूप में कार्य करता है और आस-पास की छवियों को कैप्चर करने में मदद करता है. खेती में, यह पौधों के स्वास्थ्य, कीटनाशकों के प्रकोप, या खेत में अन्य चीजों की निगरानी करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. 

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एनवायर्नमेंटल सेंसर (Environmental Sensors)- एनवायर्नमेंटल सेंसर में टेम्परेचर, ह्यूमिडिटी और अन्य आवश्यक वायुमंडल गुणों की मापें हो सकती हैं. खेती में, इन सेंसर्स का उपयोग वातावरण की निगरानी में किया जा सकता है, जिससे किसान सही समय पर और सही तरीके से खेती की देखभाल कर सकता है.

पोजीशन सेंसर (Position Sensor)- इसे गाइरोस्कोप या अन्य सेंसर्स के रूप में डिज़ाइन किया जा सकता है जो वस्तुओं की स्थिति या गति को माप सकते हैं. खेती में, इसका उपयोग खेती मशीनरी की सही स्थिति और काम के लिए किया जा सकता है.

कनेक्टिविटी मॉडेम (Connectivity Modem)- कनेक्टिविटी मॉडेम सेंसर इंटरनेट या अन्य नेटवर्क के साथ संबंधित होता है ताकि उपयोगकर्ता खेत से दूर से भी डेटा प्राप्त कर सके और खेती की मॉनिटरिंग कर सके. ये सेंसर्स खेती में तकनीकी समृद्धि को बढ़ावा देने और बेहतर उत्पादकता और प्रबंधन की सुविधा प्रदान करने में मदद कर सकते हैं.

इमेज सेंसर का ज्यादा इस्तेमाल  

कृषि में स्मार्टफोन बेस सेंसर में जो डेटा आता है, उससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी के जरिए कृषि कार्य क समाधान के लिए एक मॉडल तैयार किया जाता है. जैसे जब हम स्मार्टफोन के कैमरे से रोगग्रस्त पौधे की तस्वीर लेते हैं. फिर ली गई फोटो के डेटा पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को लागू करके बीमारी का पता लगाया जाता है. जब बीमारी का पता चलता है तो उस बीमारी के लिए उचित निदान का सुझाव दिया जाता है.

कृषि से जुड़े स्मार्टफोन सेंसर बेस्ड ऐप

जर्मनी ने कीटों और बीमारियों का पता लगाने और इसके निदान का सुझाव देने के लिए एआई आधारित स्मार्टफोन सेंसर बेस्ड ऐप विकसित किया है. इसका नाम प्लांटिक्स है. इस ऐप में आपको किसी रोगग्रस्त पौधे की फोटो लेनी होती है. यह फोटो फिर प्रोसेसिंग के लिए सर्वर पर भेजा जाता है और फिर यह बीमारी का पता लगाता है और इसे आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन पर वापस कर देता है. यह ऐप ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. स्मार्टफोन आधारित सेंसर का उपयोग सिंचाई प्रबंधन में भी किया जा रहा है.

स्मार्ट इरीगेशन कपास की फसल में सिंचाई के समय निर्धारण के लिए विकसित एक कपास ऐप है. थर्मल इमेज के जरिए फसल में पानी की जरूरत का पता लगाया जा सकता है. इसी तरह एक ऐप PMapp है जो अंगूर में पाए जाने वाले पाउडर फफूंदी के संक्रमण का पता लगाता है. यह ऐप ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. स्मार्टफोन आधारित सेंसर का उपयोग सिंचाई प्रबंधन में भी किया जा रहा है. Smart Irrigation कॉटन ऐप जो कपास की फसल में सिंचाई के समय निर्धारण के लिए विकसित गया है.

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यह थर्मल इमेज के जरिए फसल में पानी की जरूरत का पता लगा सकता है. पेस्टीसाइड स्प्रे के उचित प्रबंधन के लिए प्रीसेलेक्ट ऐप विकसित किया गया है जो फसल के हिसाब से सबसे अच्छा स्प्रे नोजल के बारे में बताता है. PocketLAI ऐप भी ऐसा ही है. इसे मिलान के इटली विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. इसी तरह कैनोपी कवर मापने के लिए CANOPEO ऐप जिसको Oklahoma State University, USA ने विकसित किया है.

IARI भी कर रहा है काम

आईएआरआई, पूसा स्मार्टफोन बेस सेंसर पर काम कर रहा है. संस्थान ने बताया कि पूसा संस्थान नाइट्रोजन मैनेजर बना रहा है. यह आरजीबी फोटो बाय लीफ स्मार्टफोन का उपयोग करके नाइट्रोजन उर्वरक की समय पर जरूरत कब और कितनी है, यह बताएगा. सटीक जल और रोग प्रबंधन, मृदा की नमी का संवेदन, फसल उत्पादन का आकलन, फसल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन इमेजिंग सेंसर पर काम हो रहा है .स्मार्टफोन बेस्ड तकनीक काम लागत वाली हो सकती है जो लघु और सीमांत किसानों के लिए भी किफायती साबित होगी. 

 

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