अब चावल की भूसी से बनेगा रबर, पेंट और टायर, किसानों की कमाई बढ़ाएगी ये खास तकनीक

अब चावल की भूसी से बनेगा रबर, पेंट और टायर, किसानों की कमाई बढ़ाएगी ये खास तकनीक

इस नई तकनीक में चावल की भूसी को जलाकर उसे सिलिका में बदला जाता है. इस सिलिका का उपयोग कई तरह के केमिकल के रूप में होता है. सिलिका से बने केमिकल का उपयोग टायर, फुटवियर, रबर प्रोडक्ट, टूथपेस्ट, साबुन, कॉस्मेटिक्स, पशुओं के दाने, खाद्य पदार्थ, पेंट में किया जाता है.

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अब चावल की भूसी से बनेगा रबर, पेंट और टायर, किसानों की कमाई बढ़ाएगी ये खास तकनीकचावल की भूसी से कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं

गुजरात के एक स्टार्टअप ने चावल की भूसी (Rice Husk) से सिलिका (Silica) बनाने का काम शुरू किया है. किसानों के लिहाज से इसे बड़ी उपलब्धी बताई जा रही है. चूंकि किसानों के लिए भूसी बड़ी समस्या साबित होती है क्योंकि धान से चावल निकलने के बाद उसका कोई इस्तेमाल नहीं बचता. कई बार यह बेकार हो जाती है. लेकिन अब किसान इस भूसी को बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. गुजरात के स्टार्टअप ब्रिसिल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने इस भूसी से सिलिका बनाने का काम किया है. सिलिका के अलावा भूसी से और भी कई प्रोडक्ट बनाए जाएंगे.

इस नई तकनीक में चावल की भूसी को जलाकर उसे सिलिका में बदला जाता है. इस सिलिका का उपयोग कई तरह के केमिकल के रूप में होता है. सिलिका से बने केमिकल का उपयोग टायर, फुटवियर, रबर प्रोडक्ट, टूथपेस्ट, साबुन, कॉस्मेटिक्स, पशुओं के दाने, खाद्य पदार्थ, पेंट में किया जाता है. और भी कई तरह के प्रोडक्ट में इसका प्रयोग होता है.  

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इस स्टार्टअप ने शुरू किया काम

गुजरात का यह स्टार्टअप बड़े स्तर पर सिलिका बनाएगा. अभी तक सिलिका बालू या रेत से बनाया जाता है, लेकिन अब इसे चावल की भूसी के राख से बनाया जाएगा. इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी और कचरे का प्रबंधन भी होगा. दरअसल, यह पूरी कवायद सिलिका बनाने के लिए बालू या रेत के उपयोग को कम करना है. बालू से सिलिका बनाने में कार्बन उत्सर्जन होता है. बालू निकालने के लिए खनन भी करना होता है जिससे पर्यावरण पर गलत असर होता है. इन सभी समस्याओं को देखते हुए अब बालू के बदले चावल की भूसी की राख से सिलिका बनेगा.

अब जान लेते हैं कि ब्रिसिल कंपनी ने चावल की भूसी और उसकी राख से सिलिका बनाने का फैसला क्यों किया. अगर राख से सिलिका बनाया जाए तो उससे 10 लाख टन कार्बन के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा. भूसी चूंकि बायोफ्यूल है, इसलिए सिलिका बनाने में कार्बन की कम मात्रा निकलती है. इस प्रोसेस में राख भी कम निलकती है जो प्रदूषण का बड़ी समस्या बनती है. खास बात ये कि इस विधि से बनने वाला सिलिका सस्ता और सुविधाजनक होता है.

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भूसी से बनेंगे कई प्रोडक्ट

सिलिका के अलावा चावल की भूसी का इस्तेमाल और भी कई प्रोडक्ट में किया जाता है. यहां तक कि बिजली बनाने में भी इसका उपयोग होता है. बिजली प्लांट में हर दिन पांच से लेकर 100 टन तक चावल की भूसी का इस्तेमाल होता है. दूसरी ओर इससे निकली राख को डंप करना भी बड़ी समस्या है. इससे निजात दिलाने के लिए अब भूसी और उसकी राख से सिलिका बनाया जाएगा. इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी.

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