टमाटर को लंबे समय तक पोषण युक्त बनाए रखना किसानों और कारोबारियों के लिए बड़ी चुनौती रही है. इस चुनौती से निपटने के लिए एनआईटी राउरकेला के वैज्ञानिकों ने जीरो एनर्जी वाला कूलिंग चैंबर विकसित किया है. इस चैंबर में 750 किलो से लेकर 1 टन तक टमाटर रखकर खेत से मंडी तक लाने-ले जाने में सहूलियत होगी. इसकी वजह से कई बार खेत में ही और रास्ते में सड़कर खराब हो जाने वाले टमाटर को बचाय जा सकेगा और किसानों का नुकसान कम होगा.
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) राउरकेला की टीम ने टमाटर ट्रांसपोर्ट के लिए कम लागत वाला और जीरो एनर्जी से चलने वाला कूलिंग चैंबर विकसित किया है. इसे टमाटर के कुशल भंडारण और परिवहन के लिए डिजाइन किया गया है. यह कूलिंग चैंबर 16 से 18 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर 750-1,000 किलोग्राम टमाटर को रख सकता है. इसकी मोबिलिटी से ट्रकों, ट्रैक्टरों, छोटे पिकअप और यहां तक कि ट्रेलरों सहित विभिन्न वाहनों पर लगाया जा सकता है. इससे टमाटर को खेत से मंडी तक लाने और ले जाने में आसानी होगी और टमाटर खराब होने से बच जाएगा.
NIT राउरकेला ने इस कूलिंग चैंबर को 1.4 लाख रुपये की लागत से विकसित किया है. इस कूलिंग चैंबर की एक खासियत इसकी एनर्जी एफिशिएंसी है, क्योंकि इसे बाहर से किसी भी तरह की बिजली की जरूरत नहीं होती है. वाष्प के जरिए कूलिंग देने की सुविधा के लिए गीले पैड का इस्तेमाल किया गया है. चैंबर ऑटोमेटिक तरीके से तापमान को कम करता है और ताजा उपज के लिए आवश्यक कूलिंग स्तर को बनाए रखता है.
यह कूलिंग चैंबर पोर्टेबल वर्जन में भी बनाया गया है, जिसे सब्जी विक्रेताओं और वितरकों जैसे छोटे उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. इससे किसानों और व्यापारियों को काफी लाभ होने की संभावना जताई गई है, क्योंकि बेहतर स्टोरेज और कृषि उपज की कम बर्बादी होगी. वहीं, टमाटर की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी और उसे लंबे समय तक के लिए पोषण युक्त बनाए रखने में मदद मिलेगी.
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