जो हाथ कुशलता से चूल्हा-चौका का काम करते हैं, वे तकनीक के क्षेत्र में भी उतनी ही सक्षम हो सकती है. ऐसे ही एक मिसाल पेश कर रही हैं गुजरात के सूरत के इसनपुर गांव की रहने वाली पायल बेन पटेल, जो ड्रोन वाली दीदी के तौर पर मशहूर हो चुकी है. ये एक किसान परिवार से आती हैं. उन्होंने केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत ड्रोन बनाया था. इस ड्रोन को चलाने के लिए पायल बेन ने महाराष्ट्र के पुणे में सरकारी खर्चे पर 15 दिनों की ट्रेनिंग ली. पायल बेन पटेल पिछले एक साल से इस ड्रोन की मदद से सालाना तीन लाख रुपये कमा रही हैं. पायल बेन पटेल का भाई भी उनकी मदद में शामिल हो जाते हैं और अपनी बहन की मदद के लिए टेंपो में सवार होकर खेतों के लिए निकल पड़ते हैं.
पायल बेन पटेल ड्रोन के जरिए खेतों में खड़ी फसल में कीटनाशक, दवाओं और खाद का छिड़काव करती है. ये काम ड्रोन की मदद से कम लागत पर और मजदूरों की सहायता के बिना किया जाता है. वहीं, महिला सशक्तिकरण के लिए पायल बेन पटेल की ड्रोन खेती की प्रदेश सरकार के मंत्री मुकेश पटेल भी सराहना कर रहे हैं.
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पायल बेन पटेल अपने गांव और उसके आसपास के गांव में खेती करने वाले लोगों के खेतों में ड्रोन के जरिए खाद और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव बड़ी ही आसानी से कर रही है. सरकार ने यूरिया खाद को लिक्विड के रूप में तैयार किया है, उस लिक्विड को ड्रोन की टंकी में भरकर और पानी मिक्स कर खेतों में छिड़काव करती हैं.
ड्रोन की तकनीक के जरिए इसमें दिए गए सिस्टम में कितने एकड़ खेत है, कितनी ऊंचाई से ड्रोन को उड़ाना है और उसमें भरने वाले लिक्विड की कितनी जरूरत होती है यह सब पहले से ही ड्रोन के अंदर सेट कर दिया जाता है. तकनीकी तौर पर ड्रोन को सेट करने के बाद ड्रोन आसमान में उड़ने लगता है और फिर खेतों में खड़ी फसल पर लिक्विड के रूप में खाद और कीटनाशक दावों को छिड़कने लगता है.
आमतौर पर खेतों में मजदूरों के जरिए यह काम होता था, लेकिन यह काम अब ड्रोन के जरिए किया जा रहा है. पायल बेन पटेल की इस ड्रोन वाली तकनीक से गांव के किसान उनसे अब अपने खेतों में ये काम करवा रहे हैं. कम समय में और कम लागत से होने वाले इस काम से किसानों में भी काफी खुशी है. महिला किसान पायल पटेल ने बताया कि केंद्र सरकार की मदद से वह इस काम को बड़े ही आसानी से कर रही है और सालाना लाखों रुपए कमा रही हैं. (संजय सिंह राठौड़ की रिपोर्ट)
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