किसानों तक पहुंचने के लिए मारूत ड्रोन ने अपनाया सर्विस मॉडल, फसल उत्पादन 15 फीसदी बढ़ने का दावा 

किसानों तक पहुंचने के लिए मारूत ड्रोन ने अपनाया सर्विस मॉडल, फसल उत्पादन 15 फीसदी बढ़ने का दावा 

प्रेम कुमार विस्लावत ने कहा कि सटीक कृषि के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करके किसान अपने कीटनाशक, पानी और मजदूर पर होने वाले खर्च में कटौती कर सकते हैं. ड्रोन सर्विस मॉडल की खासियत इसकी किफायती और सुलभता है.

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किसानों तक पहुंचने के लिए मारूत ड्रोन ने अपनाया सर्विस मॉडल, फसल उत्पादन 15 फीसदी बढ़ने का दावा मारुत ड्रोन 1 लाख से अधिक किसानों को ड्रोन सेवाएं दे चुका है.

कृषि क्षेत्र में बढ़ती तकनीक में ड्रोन की बड़ी हिस्सेदारी है. कीटनाशक छिड़काव से लेकर निगरानी समेत कई तरह के काम आसान हो गए हैं. इसके चलते उत्पादन में 15 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी की बात भी कही जा रही है. ड्रोन सेवाओं को किसानों तक आसानी से पहुंचाने के लिए मारूत ड्रोन्स (Marut Drones) ने सर्विस मॉडल को अपनाया है. इससे किसानों को महंगा ड्रोन खरीदने के बोझ से छुटकारा मिला है.  

मारूत ड्रोन्स के सीईओ और को-फाउंडर प्रेम कुमार विस्लावत ने 'किसान तक' बताया कि ड्रोन किसानों की फसलों की निगरानी, प्रबंधन और रखरखाव के तरीके को बदलने में केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं. ड्रोन ऐज अ सर्विस (DaaS) मॉडल की शुरुआत के साथ किसानों को महंगे उपकरण खरीदने और रखरखाव के भारी वित्तीय बोझ के बिना अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाया है. मारुत ड्रोन पहले ही 1 लाख से अधिक किसानों को ड्रोन सेवाएं दे चुका है. इससे किसानों को फसल पैदावार बढ़ाने और शारीरिक तौर पर मजदूरी लागत को कम करने में मदद की है. 

सर्विस मॉडल के जरिए हर किसान तक पहुंच रहा ड्रोन 

ड्रोन सर्विस मॉडल (DaaS) कैसे काम करता है, इस बारे प्रेम कुमार ने बताया कि यह मॉडल किसानों को लचीली, ऑनडिमांड ड्रोन सेवाएं देने के लिए डिजाइन किया गया है. ड्रोन, उपकरण और प्रशिक्षण खरीदने में निवेश करने के बजाय किसान बस इस सेवा की मेंबरशिप ले सकते हैं जो उन्हें कीटनाशक छिड़काव और उर्वरक फैलाने जैसे कार्यों के लिए ड्रोन उड़ान की बुकिंग करने की अनुमति देती है. यह मेंबरशिप बेस्ड मॉडल किसानों को पेमेंट के आधार पर मॉडर्न ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल करने की सुविधा देता है. 

मारुत ड्रोन्स के सीईओ और को-फाउंडर प्रेम कुमार विस्लवात.

मक्का, कपास, गन्ना फसलों के लिए सर्वाधिक कारगर 

सर्विस मॉडल की खासियत इसकी किफायती और सुलभता है. सटीक कृषि के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करके किसान अपने कीटनाशक, पानी और मजदूर पर होने वाले खर्च में कटौती कर सकते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मक्का, कपास और गन्ने जैसी फसलों को अक्सर उनकी ऊंचाई और प्रभावी फसल प्रबंधन के लिए विशिष्ट जरूरतों के चलते छिड़काव के लिए ड्रोन तकनीक की आवश्यकता होती है. पारंपरिक तरीके इन लंबी फसलों की ऊपरी तह तक नहीं पहुंच सकते हैं, लेकिन ड्रोन आसानी से छिड़काव आदि सेवाओं को पूरा कर देता है. इससे पेस्टीसाइड, फंगीसाइड या उर्वरकों का एक समान छिड़काव पक्का करता है. 

इफको के जरिए 500 का खर्च 100 रुपये हुआ 

उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में ऐसी मॉडर्न कृषि तकनीक के लिए सब्सिडी उपलब्ध नहीं है, वहां IFFCO और UPL जैसी उर्वरक कंपनियों ने वित्तीय मदद करने के लिए कदम बढ़ाया है. उदाहरण के लिए जब किसान ड्रोन सेवाओं के लिए प्रति एकड़ 500 रुपये का भुगतान करते हैं तो IFFCO सीधे ड्रोन कंपनी को 100 रुपये का योगदान देता है, जिससे किसानों पर लागत का बोझ कम होता है और यह सेवा अधिक किफायती हो जाती है. 

20 फीसदी पैदावार बढ़ने का दावा 

उन्होंने बताया कि मारुत ड्रोन के माध्यम से ड्रोन तकनीक अपनाने वाले किसानों ने कृषि गतिविधियों में सुधार देखा है. उदाहरण के लिए कुछ किसानों ने पारंपरिक तरीकों की तुलना में फसल की पैदावार में 15-20 फीसदी की बढ़त घोषित की है. छिड़काव और निगरानी जैसी ड्रोन सेवाओं की गति और सटीकता ने श्रम लागत को भी कम कर दिया है, क्योंकि जिन कार्यों के लिए पहले कई लोगों की जरूरत होती थी, अब एक ही ड्रोन संचालक पूरा काम कर रहा है. 

ड्रोन इस्तेमाल बढ़ाने के लिए इकोसिस्टम बनाएंगे

सीईओ प्रेम कुमार ने कहा कि कृषि में ड्रोन को बड़े स्तर पर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मारुत ड्रोन्स एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो इससे जुड़े लोगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है. इसमें एग्रीकल्चर प्रैक्टिस में सर्विस मॉडल के रूप में ड्रोन के इंटीग्रेशन को कारगर बनाने के लिए किसान उत्पादन संगठनों (FPO), डीएएएस पार्टनर्स, कृषि रसायन कंपनियों और सरकारी निकायों के साथ साझेदारी शामिल है. 

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