मिलिए उस इंजीनियर से जिसने बनाया सोलर ड्रायर, किसानों को दिया मुनाफा कमाने का 'बेस्‍ट आइडिया '

मिलिए उस इंजीनियर से जिसने बनाया सोलर ड्रायर, किसानों को दिया मुनाफा कमाने का 'बेस्‍ट आइडिया '

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल कुल उत्पादन का करीब 30 से 40 फीसदी सप्‍लाई चेन में कई स्‍तरों पर बर्बाद हो जाता है.अनाज की बर्बादी को कम करने का एक तरीका ताजा फसल को सुखा लेना है. वरुण के मुताबिक सूखे उत्पादों की वैश्विक मांग वर्तमान में 70 अरब डॉलर है. सोलर ड्रायर की वजह से न केवल किसी फूड प्रॉडक्‍ट की शेल्‍फ लाइफ बढ़ती है. इसके बाद इन्‍हें कम से कम एक साल तक बिना किसी प्रिजर्वेटिव्‍स के संभालकर रखा जा सकता है.

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मिलिए उस इंजीनियर से जिसने बनाया सोलर ड्रायर, किसानों को दिया मुनाफा कमाने का 'बेस्‍ट आइडिया 'एक इंजीनियर ने निकाला किसानों की इनकम बढ़ाने का तरीका

खेती और इंजीनियरिंग, दोनों को चोली-दामन का साथ है. पिछले कई सालों से इंजीनियरिंग से किसानों को मदद मिलती आ रही है और अब तो कई इंजीनियर्स खुद ऐसी चीजों का आविष्‍कार करने लगे हैं जो खेती में बड़े काम की होती हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक इंजीनियर वरुण रहेजा ने एक ऐसी चीज तैयार की है जिसके बाद खेती में होने वाला वेस्‍ट कम हो जाएगा. वरुण ने साल 2019 में रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की थी जो सोलर ड्रायर तैयार करती है. इसकी मदद से किसान वेस्‍ट में से भी ऐसा सामान तैयार कर लेते हैं जो अच्‍छी कीमत पर बिक जाता है. 

एक हिस्‍सा हो जाता है बर्बाद 

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल कुल उत्पादन का करीब 30 से 40 फीसदी सप्‍लाई चेन में कई स्‍तरों पर बर्बाद हो जाता है.अनाज की बर्बादी को कम करने का एक तरीका ताजा फसल को सुखा लेना है. वरुण के मुताबिक सूखे उत्पादों की वैश्विक मांग वर्तमान में 70 अरब डॉलर है.  साल 2021 में इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च की तरफ से हुए एक सर्वे से पता चला जिन किसानों ने उस साल फसल काटी थी उनमें से 29 फीसदी ने इसे अपने पास ही रखा. जबकि 13 फीसदी ने फसल को औने-पौने दामों पर बेच दिया. वहीं करीब सात फीसदी ऐसे थे जिनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई थी.  यह सर्वे नौ भारतीय राज्यों के करीब 370 किसानों के डेटा पर आधारित था.  

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क्‍यों बेहतर है सोलर ड्रायर 

27 साल के मैकेनिकल इंजीनियर वरुण को इस कंपनी को शुरू करने की प्रेरणा उन्‍हें इंदौर के एक एनजीओ जिमी मैकगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट से मिली. वरुण को हमेशा से ही किसानों की समस्याओं को हल करने में काफी रुचि थी. इसी वजह ने उन्हें सोलर ड्रायर पर रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया. कुछ साल बाद उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की.वरुण जिस समय कॉलेज में थे तो उन्‍होंने इस दौरान किसानों की आत्‍महत्‍या पर काफी रिसर्च की. 

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वरुण ने समझा कि किसान आत्‍महत्‍या को रोकने के लिए उनकी आय का बढ़ना बहुत जरूरी है. वरुण ने बेटर इंडिया को दिए एक इंटरव्‍यू में बताया कि जबकभी भी वह किसानों को अपने उत्‍पाद या फसल फेंकते हुए देखते थे तो उन्‍हें काफी अफसोस होता था. वह बस इसी बात पर विचार करते कि कोई तो ऐसा तरीको होगा जिससे उन्‍हें फसल न फेंकनी पड़े बल्कि इसके उन्‍हें अच्‍छे दाम मिलें. ऐसे  में उन्‍हें सोलर ड्रायर एक अच्‍छा विकल्‍प समझ में आया. 

सोलर ड्रायर का फायदा 

सोलर ड्रायर की वजह से न केवल किसी फूड प्रॉडक्‍ट की शेल्‍फ लाइफ बढ़ती है. इसके बाद इन्‍हें कम से कम एक साल तक बिना किसी प्रिजर्वेटिव्‍स के संभालकर रखा जा सकता है. वरुण ने जो सोलर ड्रायर तैयार किया है, वह पांच किलो से लेकर 1000 किलो तक का है. 20 किलो वाले सोलर ड्रायर की कीमत 20 हजार रुपये है. यह बाजार में मौजूद बाकी ड्रायर्स की तुलना में आधी है.   वरुण ने जो सोलर ड्रायर तैयार किया है, वह 20 से लेकर 100 किलोग्राम तक के वजन में कारगर है.

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कश्‍मीर में भी हुए इंस्‍टॉल 

करीब 3500 सोलर ड्रायर्स को कश्‍मीर, छत्‍तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और गुजरात के खेतों में इंस्‍टॉल किया गया है. इन वॉटर प्रूफ सोलर ड्रायर्स में सब्जियों के टुकड़ों को रखा जाता है और दो से तीन दिन में सूरज की रोशनी में सूखा उत्‍पाद तैयार हो जाता है. उदाहरण के लिए सूरज की रोशनी में सुखाए गए टमाटरों का प्रयोग ओट्स और सूप के अलावा पिज्‍जा की टॉपिंग में भी होता है. कच्‍चे केले को चिप्‍स, अंगूर को किशमिस और प्‍याज को लच्‍छों के तौर पर प्रयोग किया जाता है.

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