एस्पालियर प्रणाली एक ऐसी तकनीक है जो पौधों को दो तरह से उभारने के लिए एक टिकाऊ संरचना उपलब्ध करवाती है. इस प्रणाली में पौधे एक मजबूत संरचना के साथ उगाए जाते हैं. एस्पालियर प्रणाली का उपयोग करने से पौधों के विकास में कम खर्च आता है और यह किसानों को लाभ पहुंचाता है. इसके अलावा, यह तकनीक कम स्थान वाली जगहों में भी उपयोगी है जहां पौधों के विकास के लिए कम स्थान उपलब्ध होता है. यह एक बहुत ही उपयोगी तकनीक है जो किसानों को फसल के विकास में मदद करती है. कृषि वैज्ञानिक आराधना कुमारी, संतोष कुमार सिंह, पीके मिश्रा और विनोद कुमार गर्ग ने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है.
यह प्रणाली पौधों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करके फलों के उत्पादन में वृद्धि करती है. इस तकनीक में, पौधों के चारों ओर धागे लगाकर या ट्रेलिस, फेंस, दीवार या अन्य संरचनाओं से उन्हें सही सहारा दिया जाता है. इस प्रणाली को अक्सर अमरूद, सेब, नाशपाती, शरीफा और संतरे जैसे फलों को उगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक का उपयोग पौधों के उचित विकास और फलों के अधिक उत्पादन के लिए किया जाता है.
यह प्रणाली उन पौधों के लिए उपयोगी होती है, जिन्हें खेती करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होती है. इस प्रणाली के उपयोग से, पौधे ऊपर की ओर फैलाए जा सकते हैं. इस प्रकार पौधों की किस्म के अनुसार उनमें फलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
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अमरूद, सेब, नीबू, नाशपाती और संतरा आदि के अलावा खेतों, बागों और अन्य विकसित क्षेत्रों में भी किया जाता है. एस्पालियर प्रणाली के माध्यम से, पौधों में उचित संरचना और विकास के लिए जरूरी सहारा प्रदान किया जाता है. यह एक प्रकार से खेती का उपकरण होता है और कम जगहों में भी फल उत्पादन को संभव बनाता है. यह तकनीक वृक्षों और विभिन्न पौधों को सहारा और संरचना प्रदान करने में मदद करती है. इस प्रणाली के माध्यम से फलों को उगाने के लिए अमूमन खेती बाड़ी में संरचनाएं बनाई जाती हैं. इन संरचनाओं के अलावा, एक अन्य उपयोग इस तकनीक के माध्यम से पौधों के फलों को सही ढंग से उगाना होता है. इसके लिए, प्रत्येक पौधे को सही तरीके से सहारा देने के लिए उन्हें उचित अंतराल पर उठाया जाता है.
सबसे से पहले खेत की तैयारी करें तथा फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी को तैयार करें. एस्पालियर प्रणाली का उपयोग करने के लिए उचित फसलों का चयन करना बहुत जरूरी है. फसल के आकार और ऊंचाई के अनुसार उचित फसलों का चयन करें. अब, फसल के लिए धागों को तैयार करें. एस्पालियर प्रणाली के लिए धागे तैयार करने हेतु प्लास्टिक या मेटल के धागे का उपयोग कर सकते हैं. धागों को सही अंतराल पर खेत में लगाएं ताकि पौधों के बीच सही फासला रहे. अब पौधों को धागों से बांधें. धागों को पौधों के चारों ओर से घुमाते हुए बांधें. धागों को सही दबाव और अंतराल पर बांधें ताकि पौधों को सही सहारा मिले. पौधों के अनुसार सही समय पर धागों को ढीला करें या ढंग से बांधने की जरूरत न होने पर हटा दें. इससे पौधे को अधिक स्वतंत्रता मिलती है. वे अपने अनुसार विकसित होते हैं.
एस्पालियर प्रणाली का उपयोग करने से पौधों के विकास में कम खर्च आता है और यह किसानों को लाभ पहुंचाता है. इसके अलावा, यह तकनीक कम स्थान वाली जगहों में भी उपयोगी है जहां पौधों के विकास के लिए कम स्थान उपलब्ध होता है. यह एक बहुत ही उपयोगी तकनीक है जो किसानों को फसल के विकास में मदद करती है. इससे फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है और किसान अधिक आय कमा सकते हैं. इससे न केवल किसानों को फायदा मिलता है बल्कि यह वन्य जीवन के लिए भी फायदेमंद है.
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