चीनी को लेकर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में लगातार शोध कार्य होते रहे हैं. कानपुर स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के द्वारा एक ऐसी खास तरह की लो जीआई चीनी को तैयार किया गया है जिसके नियमित सेवन से शुगर नहीं बढ़ेगा बल्कि इससे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहेगा. इस खास तरह की चीनी को राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिकों ने निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन की देखरेख में तैयार किया है. इस चीनी के नियमित प्रयोग से फैटी लीवर जैसी समस्या में भी फ़ायदा मिलेगा. यह देश की पहली लो जीआई शुगर कहा जा रहा है. वैज्ञानिकों की 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद इस खास तरह की चीनी को तैयार किया गया है. पेटेंट मिलने के बाद इस शुगर का व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू हो जाएगा. इसके बाद आम व्यक्ति को भी यह चीनी मिल सकेगी.
कानपुर स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन की देखरेख में एक खास तरह की चीनी को तैयार किया गया है. वैसे बाजार में मिलने वाली सामान्य चीनी का जीआई स्तर 68 के करीब होता है जिसके खाने के बाद शरीर के ब्लड में शुगर तेजी से बढ़ता है जिसके लिए पेनक्रियाज से इंसुलिन रिलीज होता है. इसके चलते यह जीआई का स्तर कंट्रोल रहता है. संस्थान के युवा वैज्ञानिक श्रुति शुक्ला, अनुष्का सिंह ने निदेशक की देखरेख में एक खास तरह की लो जीआई शुगर को तैयार किया है जिसका जीआई स्तर 55 से नीचे है. इस शुगर को तैयार करने के लिए गन्ने के रस को ही विशेष विधि से साफ किया जाता है.
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जीआई का मतलब होता है ग्लाइसेमिक इंडेक्स. 55 के ऊपर जीआई होने शरीर के ब्लड में शुगर के लेवल को बढ़ाने का काम करती है. यदि 55 के नीचे शुगर का स्तर रखा जाए तो इससे शरीर के ब्लड में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है. बाजार में बिकने वाली सामान्य चीनी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 68 के करीब होता है. वहीं राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में तैयार की गई लो जीआई शुगर का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 से नीचे है. बाजार में बिकने वाली ब्राउन शुगर का जीआई 67.51 है जबकि प्लांटेशन शुगर का की 66.61 होता हैं.
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि सामान्य चीनी के मुकाबले इसकी कीमत 20 फीसदी अधिक होगी. वहीं इसका पेटेंट मिलने के बाद इसका कमर्शियल उत्पादन शुरू हो जाएगा. इस लो जीआई चीनी में विटामिन ए के साथ-साथ मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, विटामिन, B12 को भी सम्मिलित किया जाएगा. लो जीआई चीनी को तैयार करने वाली अनुष्का ने बताया कि पिछले 6 सालों से इस तरह की चीनी को तैयार करने का रिसर्च चल रहा था. 4 साल में इसका रिजल्ट जीरो रहा है. निर्देशक की देखरेख में 2021 के अंतिम समय में अच्छे परिणाम मिलने शुरू हुए. अब जाकर सफलता मिली है.
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