किसान ड्रोन से करेंगे धान की खेती, Marut Drones ने DSR विधि से सटीक बुवाई और बचत का तरीका बताया 

किसान ड्रोन से करेंगे धान की खेती, Marut Drones ने DSR विधि से सटीक बुवाई और बचत का तरीका बताया 

मारुत ड्रोन ने अपना डायरेक्ट सीडिंग ड्रोन पेश किया है, जो एक मल्टी रो सीडिंग मैकेनिज्म से लैस है. यह सटीक हवाई बीज फैलाव, बीज प्लेसमेंट को अनुकूलित करने के साथ ही बीजों की बर्बादी को कम करता है.

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किसान ड्रोन से करेंगे धान की खेती, Marut Drones ने DSR विधि से सटीक बुवाई और बचत का तरीका बताया धान की बुवाई के लिए ड्रोन को मल्टी रो सीडिंग मैकेनिज्म से लैस किया गया है.

तेलंगाना के किसान अब ड्रोन के जरिए धान की बुवाई कर सकेंगे. दरअसल, एग्रीटेक कंपनी मारूत ड्रोन (Marut Drones) ने किसानों को डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) विधि से खेती करने की ट्रेनिंग दी है और उसके फायदे बताए हैं. डीएसआर विधि से चावल की खेती में पानी की लागत में 90 फीसदी घट जाती है और समय के साथ ही मजदूरी लागत भी काफी कम हो जाती है. एक ड्रोन एक दिन में 30 एकड़ खेती में बीज की बुवाई कर सकता है. धान की बुवाई के लिए ड्रोन को मल्टी रो सीडिंग मैकेनिज्म से लैस किया गया है. 

ड्रोन तकनीक बनाने वाली अग्रणी कंपनी मारुत ड्रोन ने तेलंगाना राज्य के महबूबनगर जिले के बूथपुर गांव में डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक का लाइव प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में धान किसानों के लिए ड्रोन आधारित डायरेक्ट सीडिंग की दक्षता और स्थिरता की जानकारी दी गई. स्थानीय किसान समूहों, क्षेत्रीय कृषि अधिकारियों और तेलंगाना राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष जी. चिन्ना रेड्डी ने किसानों को खेती में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया. 

मल्टी रो सीडिंग मैकेनिज्म से लैस ड्रोन 

ड्रोन आधारित डायरेक्ट सीडिंग उत्पादकता को बढ़ाने में कारगर है और इनपुट लागत को कम करती है. इसके अलावा पानी के उपयोग को भी घटा देती है. मारुत ड्रोन ने अपना डायरेक्ट सीडिंग ड्रोन पेश किया, जो एक मल्टी रो सीडिंग मैकेनिज्म से लैस है. यह सटीक हवाई बीज फैलाव, बीज प्लेसमेंट को अनुकूलित करने और बर्बादी को कम करता है. किसानों के बीच ड्रोन से सीधे धान की बुवाई विधि ने गहरी रुचि पैदा की. किसानों ने DSR विधि और ड्रोन तकनीक अपनाने में मदद के लिए सरकारी सब्सिडी या वित्तीय सहायता की जानकारी भी ली. 

ड्रोन के इस्तेमाल से 92 फीसदी पानी की बचत 

मारुत ड्रोन के सीईओ और सह-संस्थापक प्रेम कुमार विस्लावत ने डीएसआर ड्रोन की जल बचत क्षमता पर कहा कि यह इनोवेटिव ड्रोन तकनीक पानी के उपयोग को 92 फीसदी तक कम कर सकती है. इससे जल कमी वाले क्षेत्रों के लिए एक खेती का यह तरीका गेमचेंजर साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि ड्रोन की स्पीड, बीज गिरने की दर और ऊंचाई को संतुलित करके हम संसाधनों की खपत को कम करते हुए एक समान बीज बुवाई पक्का करते हैं. उन्होंने कहा कि अन्य जिलों में भी किसानों को ड्रोन से सीधे धान की खेती का तरीका बताने के लिए कैंप लगाए जाएंगे. 

मारुत ड्रोन के सीईओ प्रेम कुमार विस्लावत ने डीएसआर ड्रोन की जानकारी दी.

धान की खेती में प्रमुख चुनौतियों का समाधान

ड्रोन से धान की खेती करने में किसानों को काफी सहूलियत मिलने वाली है. क्योंकि, एक ड्रोन एक दिन में 30 एकड़ खेती में बीज की बुवाई कर सकता है. क्योंकि, यही काम मैनुअल तरीके से करने पर कई दिन लगने के साथ ही मजदूरी लागत किसान की जेब ढीली कर देगी. ड्रोन बेस्ड बीजारोपण विधि को अपनाने से किसानों के कई चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है. इनमें मानसून में देरी और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में कमी जैसी चुनौतियां भी शामिल हैं. ड्रोन से डीएसआर खेती का तरीका समय पर बुवाई करने और पानी की निर्भरता को कम करता है. यह तकनीक पारंपरिक नर्सरी और मैन्युअल रोपाई प्रक्रिया को समाप्त करके मजदूरी लागत को भी कम कर देती है. 

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