धान की सीधी बुवाई का इस्तेमाल धान की खेती में होने वाली सिंचाई को कम करने के लिए किया जाता है. इतना ही नहीं इसकी खेती से किसानों की मेहनत और पैसों की भी बचत होती है. यानी कम लागत में धान की अधिक उपज और अधिक आय. इस तकनीक से मिट्टी की सेहत भी बेहतर होती है, क्योंकि पिछली फसल के अवशेष वापस खेत में पहुंच जाते हैं और उसमें मौजूद कार्बनिक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है. इस तकनीक से धान की फसल भी 10 से 15 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है. खरीफ सीजन में मानसून आने से 10-12 दिन पहले धान की सीधी बुवाई बहुत उपयोगी साबित होती है.
वैसे तो धान की पारंपरिक खेती सदियों से चली आ रही है, लेकिन नई तकनीकों की मदद से धान की सीधी बुवाई की आधुनिक तकनीक किसानों के लिए बेहद शानदार है, क्योंकि इससे सिंचाई और मेहनत में 20 प्रतिशत की बचत होती है. इसका साफ मतलब है कि कम लागत में किसान धान की खेती से अधिक पैदावार और अधिक आय कमा सकते हैं. धान की सीधी बुवाई तकनीक मिट्टी की सेहत को भी बेहतर बनाती है. लेकिन सीधी बुवाई तकनीक की सफलता के लिए इसके सही तरीकों को अपनाना और सही समय पर बुवाई करना बहुत जरूरी है. वहीं सीधी बुवाई से के सही मशीनों का इस्तेमाल भी अहम है. तो आइए जानते हैं सीधी बुवाई में किन मशीनों का इस्तेमाल करें.
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बुवाई के लिए ऐसी सीड ड्रिल मशीनों का उपयोग करना चाहिए जो खेत में उचित गहराई तक एक समान और सटीक मात्रा में बीज पहुंचा सकें. इसके लिए झुकी हुई प्लेट, कप के आकार के मापक यंत्र या खड़ी प्लेट वाली मशीनों का उपयोग करना चाहिए. बिना खरपतवार वाले खेतों में झुकी हुई प्लेट या कप के आकार की प्लेट वाली बीज बोने वाली मशीन 'जीरो टिल प्लांटर' का उपयोग बहुत सफल पाया गया है. लेकिन अगर खेत में बिखरे हुए अवशेष मौजूद हों तो धान की सीधी बुवाई के लिए इस मशीनों का इस्तेमाल बेहतर माना गया है.
टर्बो सीडर प्रति हेक्टेयर 8-10 टन अवशेष वाले खेतों में भी अच्छी तरह से बुआई कर सकता है. इसे चलाने के लिए 50 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर की जरूरत होती है.
इस मशीन में अलग-अलग फसलों के बीजों की एक निश्चित मात्रा के लिए वर्टिकल प्लेट्स होती हैं. इसमें बुवाई की पंक्ति को चलाने के लिए एक उपकरण भी होता है. यह मशीन 8-10 टन प्रति हेक्टेयर तक सभी प्रकार के अवशेषों के बीच बुवाई के लिए उपयुक्त है. इस मशीन को 35 हॉर्स पावर के छोटे ट्रैक्टर से भी चलाया जा सकता है.
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यह ट्रैक्टर के पावर टेक ऑफ शाफ्ट से संचालित होती है. इसकी घूमती हुई डिस्क अवशेषों को एक समान काटती है और मिट्टी के अंदर छोटे-छोटे गड्ढों में बीज और खाद डालती रहती है. इस मशीन से बिखरे और खड़े अवशेषों वाले खेत में प्रति हेक्टेयर 7-8 टन बीज बोए जा सकते हैं.
इस मशीन की डिस्क की नोक जमीन को छूती है और 'V' आकार के गड्ढे बनाकर बीज खेत में डाले जाते हैं. लेकिन इस मशीन के हल्के वजन के कारण यह अवशेषों को नहीं काटती. इस कारण कई बार बीज और खाद अवशेषों की सतह पर रह जाते हैं. अवशेष होने की स्थिति में यह मशीन प्रति हेक्टेयर 3-4 टन बीज बो सकती है.
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