कुछ दशक पहले तक सुरक्षा एजेंसियां देश की सुरक्षा और खासकर कश्मीर में आतंकी विवाद और शांति बनाए रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करती थीं. ड्रोन की मदद से दुश्मनों का पता लगाया गया और उन्हें मार गिराया गया. आज उसी कश्मीर में तस्वीरें बदलती दिख रही हैं. सीमावर्ती सांबा जिले के रागुचक गांव के निवासियों ने शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग पहली बार देखा। ये न सिर्फ वहां के किसानों के लिए आश्चर्य की बात थी, बल्कि हम सबके लिए ये एक अच्छा संकेत है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है पूरी खबर.
शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित ड्रोन प्रदर्शन में 150 से अधिक प्रगतिशील किसान शामिल हुए और लाइव प्रदर्शन देखा. जो क्षेत्र में सटीक कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक और मील का पत्थर था. ड्रोन और उसके इस्तेमाल को देख वहां के किसान बेहद खुश और हैरान थे. उन्होंने देखा कैसे ड्रोन की मदद से कम समय में कृषि कार्य को आसानी से पूरा कर रहा है. जिससे ना सिर्फ समय की बचत होगी बल्कि पैसा भी कम लगेगा. आर्थिक उत्पादकता बढ़ाने और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए किसानों को कृषि में नवीनतम तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए जम्मू के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के प्रदर्शन आयोजित किए जाने की संभावना है. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य किसानों को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाना है.
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हाल के वर्षों में, कृषि में एक तकनीकी क्रांति देखी गई है, जिसमें ड्रोन दुनिया भर के किसानों के लिए गेम-चेंजिंग टूल के रूप में केंद्र में हैं. ये मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) केवल तकनीकी उत्साही लोगों के लिए गैजेट नहीं हैं बल्कि कृषि के क्षेत्र में उससे भी कई गुना आगे बढ़ चुका है. ड्रोन किसानों को ढेर सारे लाभ प्रदान करते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है सटीकता. उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरों से लैस, वे फसल के खेतों की विस्तृत तस्वीरें खींचते हैं, जिससे किसानों को फसल के स्वास्थ्य की निगरानी करने, कीट संक्रमण का पता लगाने और सिंचाई का अनुकूलन करने की अनुमति मिलती है. इसके अलावा, कीटनाशकों और उर्वरकों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने, सटीक छिड़काव के लिए ड्रोन तैनात किए जाते हैं. ड्रोन ने न केवल कृषि में दक्षता और सटीकता लाई है बल्कि टिकाऊ और डेटा-संचालित कृषि पद्धतियों का मार्ग भी प्रशस्त किया है. जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास जारी है, कृषि क्षेत्र की ड्रोन पर निर्भरता बढ़ने वाली है, जिससे स्मार्ट खेती के लिए एक आशाजनक भविष्य सुनिश्चित हो रहा है.
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