प्याज आयात की अनुमति देने के केंद्र के हालिया फैसले ने नासिक और पड़ोसी राज्यों में किसानों को और बहुत ज्यादा नाराज कर दिया है. उन्होंने इस कदम को लोकसभा चुनाव के दौरान एक राजनीतिक नौटंकी करार दिया है. मार्च में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध को और बढ़ाया गया था और इस फैसले से किसान पहले ही परेशान हैं. वह इससे उबर पाते कि 25 अप्रैल केंद्र सरकार की तरफ से गुजरात से 2,000 टन सफेद प्याज के निर्यात को मंजूरी देने के बाद अशांति और बढ़ गई. महाराष्ट्र के प्याज उगाने वाले किसान समुदाय को लग रहा है कि इस फैसले से उन्हें नजरअंदाज किया गया है. महाराष्ट्र में मुख्य रूप से लाल प्याज की खेती होती है.
इस महीने की शुरुआत में, प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर महाराष्ट्र की मशहूर प्याज बेल्ट, नासिक के देवला तालुका के एक हिस्से में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने वाले उम्मीदवारों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी. 27 अप्रैल को आई जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार छह देशों, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दे रही है. निर्यात को नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) की तरफ से मैनेज किया जाएगा.
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नासिक के प्याज किसानों की मानें तो यह घोषणा ऐलान नासिक, लासलगांव, शिरडी, डिंडोरी, सोलापुर, अहमदनगर और अन्य क्षेत्रों में प्याज किसानों के बढ़ते गुस्से और विरोध की प्रतिक्रिया प्रतीत होती है. उनका कहना है कि यह अधिसूचना आधिकारिक नहीं है बल्कि बस एक तमाशा भर है. उन्होंने बताया कि इसे कब जारी किया गया, इसकी कोई जानकारी नहीं है और साथ ही जो तारीखें बताई गई हैं वो मार्च 2024 की हैं, जब प्याज निर्यात प्रतिबंध हटने की उम्मीद थी.
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केंद्र सरकार ने शुरुआत में आठ दिसंबर, 2023 को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद इसे अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया था. उम्मीद थी कि मार्च के अंत तक प्याज के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा. किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से आया नोटिफिकेशन भ्रम पैदा करने और किसानों को गुमराह करने के लिए बनाया गया है. नेताओं को डर है कि किसान मौजूदा लोकसभा चुनावों के दौरान उनके खिलाफ मतदान कर सकते हैं. इसलिए, यह नौटंकी हो रही है.
किसानों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सवाल उठाया है कि सफेद और लाल प्याज के लिए अलग-अलग नियम क्यों हैं, और मांग की है कि प्रतिबंध और प्रतिबंध तुरंत हटा दिया जाए. प्याज उत्पादक संघ के राज्य अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि अधिसूचना का कोई मतलब नहीं है. उनकी मानें तो यह कदम पूरी तरह से वोट हासिल करने के लिए है और संभावित मतदाताओं को खुश करने का एक झूठा प्रयास है.
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बताया जा रहा है कि 99000 टन से ज्यादा प्याज निर्यात फैसले को सरकार की मंजूरी महत्वहीन है. देश में इस साल करीब 5 से 10 मिलियन टन प्याज का उत्पादन होने की उम्मीद है. किसानों का मानना है कि भले ही अधिसूचना सच हो लेकिन निर्यात राशि कुल उत्पादन का 0.33 से 0.35 फीसदी है तो मुनाफा कमाने के लिए पर्याप्त नहीं है. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार कम से कम 15 लाख टन प्याज के निर्यात को मंजूरी दे जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो सके.
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