150 से ज्यादा सिंधी 13 मई को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के दौरान भारत की नागरिकता मिलने के बाद पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. ये सिंधी कुछ साल पहले पाकिस्तान से आए थे और पुणे के पिंपरी-चिंचवाड़ क्षेत्र में रह रहे हैं. ये सभी मावल निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार अपना वोट डालेंगे. साल 2021 में पुणे के जिला कलेक्टर ने उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की थी. इसके बाद इन सदस्यों ने मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया और इस साल वोट डालने के लिए उत्साहित हैं.
45 वर्षीय दीपक पंजवानी एक ऐसे ही सदस्य हैं जो फ्लोर टाइल्स का कारोबार करते हैं और पिंपरी में रहते हैं. वह साल 2004 में पाकिस्तान से भारत आ गए थे. साल 2021 में उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई थी. वह इस समय पुणे में अपनी पत्नी, बेटे और बेटी के साथ रहते हैं. पंजवानी ने कहते हैं कि 'भारत उनकी मातृभूमि है. अब वह वोट डालकर अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों का पालन करेंगे. उनकी मानें तो उन्हें भारतवासी होने पर गर्व है.
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वहीं एक और सदस्य 52 साल के कन्हैयालाल कटारिया 15 साल पहले पाकिस्तान से भारत आए थे. उन्हें साल 2020 में भारतीय नागरिकता मिल गई थी. वह अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ रहते हैं. कन्हैयालाल पिंपरी में एक हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं. उनकी मानें तो वह और उनकी पत्नी पहली बार वोट डालने के लिए एक्साइटेड हैं. उनकी मानें तो आज तक वो सिर्फ टेलीविजन चैनलों या अखबारों में राजनीतिक खबरें ही देखते-सुनते आए हैं. लेकिन अब वो अपना वोट देकर इस प्रक्रिया में भाग लेंगे और प्रतिक्रिया देंगे. कटारिया ने सिंधी सुजाग मंच के सुनील केसवानी और पुणे जिला प्रशासन को भारतीय नागरिकता दिलाने में मदद के लिए धन्यवाद दिया.
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पाकिस्तान से आए सिंधी परिवारों को भारतीय नागरिकता दिलाने में मदद करने वाले सिंधी सुजाग मंच के डायरेक्टर केसवानी के मुताबिक अब तक पिंपरी में रहने वाले 300-400 पाकिस्तानी विस्थापित सिंधियों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि 150 से ज्यादा सिंधी 13 मई को अपना वोट डालेंगे. फर्श टाइल्स का कारोबार करने वाले 56 वर्षीय दलीप कुमार फेरवानी साल 2000 में पाकिस्तान से भारत आ गए थे. साल 2023 में उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई और अब वह भारत में पहली बार मतदान करेंगे.
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जिला प्रशासन के अनुसार साल 2016 और 2022 के बीच पुणे जिले के अधिकारियों की तरफ पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए कम से कम 248 शरणार्थियों, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे, को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है. पुणे जिला कलेक्टरेट के अनुसार 2016 में पाकिस्तान से आए 20 शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान की गई. जबकि साल 2017 में करीब 32 को नागरिकता दी गई. साल 2018 में 41, साल 2019 में 24, साल 2020 में 18, साल 2021 में 80 और जुलाई 2022 तक 31 लोगों को नागरिकता प्रदान की गई.
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