मॉनसून की बारिश के साथ ही सिघाड़े की बुआई शुरू की जाती है. जून-जुलाई में सिंघाड़ा खेत या तालाब बोया जाता है. इसके लिए खेत में न्यूनतम दो फिट पानी होना चाहिए. आमतौर पर छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े का बीच बोया जाता है लेकिन मिट्टी के खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरके भी पौधों की रोपाई की जाती है. जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है. मई-जून के महीने में एक मीटर लंबी बेल तोड़ कर उन्हें तालाब में रोप देना चाहिए. वहीं इसकी नर्सरी के लिए बीज पके हुए फलों का इस्तेमाल कर सकते है.
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