महाराष्ट्र के वर्धा मंडी में कॉटन कारपोरेशन (CCI) के खरीद नियमों की वजह से कपास की बिक्री न होने पर एक किसान ने उपज में आग लगा दी. एक तो किसानों को पहले ही दाम सही नहीं मिल रहा है दूसरे कुछ किसान रकबे का जिक्र न होने से कपास नहीं बेच पा रहे हैं. बताया गया है कि गांव रोठा के किसान अमोल ठाकरे गुरुवार सुबह उमरी में केंद्र के सामने ही वाहन पर लदे कपास में आग लगा दी. क्योंकि वो सीसीआई के अधिकारियों के नियमों और व्यवहार से परेशान था. केंद्र पर मौजूद लोगों ने आग पर तुरंत काबू पाया.
बताया गया है कि 7100 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिलने की खबर पर उमरी की जिनिंग में सीसीआई के खरीदी केंद्र पर अमोल ठाकरे अपने खेत में पैदा हुई कपास वाहन में लादकर बेचने पहुंचे थे. लेकिन सीसीआई के अधिकारियों ने उनके इस सीजन में कपास के रकबे का उल्लेख नहीं होने या आरोप लागकर कपास खरीदने से इनकार कर दिया. बताया गया कि रकबे का रिकॉर्ड न होने की वजह से वो एमएसपी से बहुत कम दाम दे रहे थे. जिससे परेशान होकर किसान ने गाड़ी में लदे कपास में आग लगा दी. जिस पर पानी डालकर काबू पाया गया.
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राज्य में 9 फरवरी को कॉटन का औसत दाम 6672.5 रुपये प्रति क्विंटल रहा. न्यूनतम दाम 5400 और अधिकतम भाव 7100 रुपये प्रति क्विंटल रहा. ज्यादातर बाजारों में किसानों को बहुत अच्छी गुणवत्ता के कॉटन का भाव 6000 से 7000 रुपये क्विंटल मिल रहा है, जो 2023, 2022 और 2021 के मुकाबले कम है. किसानों का कहना है कि इससे कम लागत पर 2021 में 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिल रहा था. अब ऐसे हालात हैं कि कुछ मंडियों में दाम एमएसपी से भी कम मिल रहे हैं. इसलिए काफी किसान अब कॉटन को स्टॉक कर रहे हैं.
कृषि विशेषज्ञों ने इस साल कपास के उत्पादन में कमी का अनुमान लगाया है. इसके बावजूद अब तक किसानों को पहले जैसा भाव नहीं मिल रहा है.सीसीआई ने अक्टूबर से शुरू होने वाले मार्केटिंग सेशन 2023-24 के लिए कपास उत्पादन अनुमान घटाकर 294.10 लाख गांठ कर दिया है, जबकि वर्ष 2021-22 में कुल कपास उत्पादन 318.90 लाख गांठ था. दूसरी ओर घरेलू खपत 311 लाख गांठ रहने का अनुमान है. कॉटन की एक गांठ 170 किलोग्राम की होती है.
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