उत्तराखंड के इन 2 जिलों में अभी तक एक दाने गेहूं की नहीं हुई खरीद, 36 दिन बाद भी मंडियों में सन्नाटा

उत्तराखंड के इन 2 जिलों में अभी तक एक दाने गेहूं की नहीं हुई खरीद, 36 दिन बाद भी मंडियों में सन्नाटा

उधम सिंह नगर के सबसे बड़े शहर काशीपुर में पिछले वर्षों की तुलना में सरकारी खरीद कम हो गई है. किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित कम समर्थन मूल्य के कारण उन्हें निजी बिक्री का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया गया है. एक किसान जवाहर सिंह ने कहा कि गेहूं के लिए सरकार का समर्थन मूल्य अपर्याप्त है और भुगतान में देरी हो रही है.

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उत्तराखंड के इन 2 जिलों में अभी तक एक दाने गेहूं की नहीं हुई खरीद, 36 दिन बाद भी मंडियों में सन्नाटाकिसान क्यों नहीं आ रहे सरकारी खरीद केंद्र. (सांकेतिक फोटो)

उत्तराखंड के कुमाऊं जिले में गेहूं की खरीद बहुत धीमी रफ्तार से चल रही है. यहां पर बीते 36 दिनों में केवल 166.45 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया, जो लक्ष्य के एक प्रतिशत से भी कम है. हालांकि, राज्य सरकार ने कुमाऊं में 39,000 मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जिसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था. खास बात यह है कि चंपावत जिले में यह आंकड़ा शून्य पर है. 

द टाइम्फ ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक,  तराई किसान सभा के अध्यक्ष तेजेंदर सिंह विर्क ने कहा कि कुमाऊं क्षेत्र में गेहूं की खरीद के सरकार के प्रयासों को भारी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कम एमएसपी, विलंबित भुगतान और निजी खरीदारों से प्रतिस्पर्धा के कारण किसान आधिकारिक खरीद केंद्रों से दूर हो रहे हैं. उधम सिंह नगर में, 47 क्रय केंद्र स्थापित किए गए, जिनमें खाद्य विभाग के तहत नौ, उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ लिमिटेड (यूसीएफ) के तहत 35 और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के तहत तीन शामिल हैं. हालांकि, खरीद दरें कम बनी हुई हैं. जबकि खाद्य और सहकारी विभाग के क्रय केंद्र खरीद खाते खोलने में कामयाब रहे और अन्य एजेंसियां पिछड़ गईं. मात्र 38 किसानों से 166.45 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो सकी.

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यहां पर नहीं हुई गेहूं की खरीद

क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक (आरएफसी) बीएल फिरमाल ने कहा कि नैनीताल और चंपावत में कोई खरीद नहीं हुई है. बाजार में 145,327.87 मीट्रिक टन गेहूं की आमद से स्थिति और खराब हो गई है. हल्द्वानी के वरिष्ठ विपणन कार्यालय ने बताया कि नैनीताल को 9,208.75 मीट्रिक टन, उधम सिंह नगर को 132,869.922 मीट्रिक टन और चंपावत को 3249.2 मीट्रिक टन गेहूं प्राप्त हुआ. इससे कीमतें ऊंची हो गई हैं.

अपनी फसल बेचनी पड़ रही है

उधम सिंह नगर के सबसे बड़े शहर काशीपुर में पिछले वर्षों की तुलना में सरकारी खरीद कम हो गई है. किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित कम समर्थन मूल्य के कारण उन्हें निजी बिक्री का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित किया गया है. एक किसान जवाहर सिंह ने कहा कि गेहूं के लिए सरकार का समर्थन मूल्य अपर्याप्त है और भुगतान में देरी हो रही है, जिससे हमें बाजार दरों पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.

क्या कहते हैं किसान

एक अन्य किसान विक्रमजीत सिंह ने कहा कि सरकारी कीमत हमारी लागत को भी कवर नहीं करती है, जबकि निजी खरीदार बेहतर दर और समय पर भुगतान की पेशकश करते हैं. खाद्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 में 2,015 रुपये एमएसपी पर 102,137 क्विंटल गेहूं खरीदा गया. अगले वर्ष, एमएसपी में 2,125 रुपये की वृद्धि के बावजूद, खरीद घटकर 717.50 क्विंटल रह गई.  2023-24 में, एमएसपी में 2,275 रुपये की और वृद्धि के बावजूद, खरीद आश्चर्यजनक रूप से घटकर 15 क्विंटल रह गई.  2024-25 के लिए मौजूदा खरीद का आंकड़ा महज 18.50 क्विंटल है. गेहूं की खरीद की समय सीमा 30 जून है और किसानों ने सरकार से उनकी चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने का आग्रह किया है.

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