Future of Horticulture: बागवानी से हो सकती है किसानों की आय दोगुनी, जानिए हॉर्टीकल्चर में होता है कितना फायदा?

Future of Horticulture: बागवानी से हो सकती है किसानों की आय दोगुनी, जानिए हॉर्टीकल्चर में होता है कितना फायदा?

Horticulture in India: आय बढ़ाने का एक है उपाय, हॉर्टीकल्चर अपनाएं किसान. खेती में पैसा कमाना है तो बागवानी की मदद से ये काम किया जा सकता है. बागवानी किसानों के लिए कितना मुनाफे का सौदा है और जानिए क्या भविष्य में युवा किसान एग्रीकल्चर में सबसे ज्यादा ज़ोर हॉर्टीकल्चर पर देंगे?

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Future of Horticulture: बागवानी से हो सकती है किसानों की आय दोगुनी, जानिए हॉर्टीकल्चर में होता है कितना फायदा?नया साल किसान

What is Horticulture? किसानों की आय दोगुना करने का जो सरकारी लक्ष्य है उसे जल्द पूरा करने में बागवानी मदद कर सकता है.  बागवानी(Horticulture) आज के समय में सबसे ज्यादा उत्पादन और ज्यादा आय देने वाली खेती बन गई है जिस पर ध्यान देने से किसानों को फायदा पहुंचेगा. हॉर्टीकल्चर  खेती का ही एक हिस्सा है जिसमें अनाज, फल, मसाला, सब्जियां, फूल, और औषधीय पेड़ों की खेती की जाती है. हॉर्टीकल्चर में पौधों के फसल उत्पादन से लेकर मिट्टी की तैयारी, पौधे की प्रजनन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग, पौधे की जैव रसायन भी शामिल है. जानिए कितने हिस्से में देश में हॉर्टीकल्चर हो रहा है. 

हॉर्टिकल्चर के आंकड़े
हॉर्टिकल्चर के आंकड़े

देश में किसानों की आय बढ़ाने का उद्देश्य हॉर्टीकल्चर से पूरा हो सकता है. PUSA के हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर अवनी कुमार सिंह का कहना है कि एक एकड़ एरिया में अगर गेंहू या धान की फसल उगाई जाए तो वो एक से डेढ़ लाख रुपये की होती है. लेकिन अगर एक एकड़ एरिया में कोई फल या सब्जी उगाई जाए तो वो 3-4 लाख रुपये की हो सकती हैं, यानी बागवानी से किसान अपनी आय को दोगुना नहीं 3 से 4 गुना तक बढ़ा सकते हैं.

हॉर्टीकल्चर किसानों के लिए एक बेहतर खेती करने अवसर बनकर सामने आया है. बागवानी से किसान ना सिर्फ अपनी आय बढ़ा सकते हैं बल्कि दूसरों को रोजगार भी दे सकते हैं.  आंकड़ों से समझिए कैसे कम जमीन पर होने वाली ये खेती फायदे ज्यादा देती है. 

GDP में हॉर्टिकल्चर का योगदान
GDP में हॉर्टिकल्चर का योगदान


हालांकि खेती के सही इको सिस्टम के लिए ये संभव नहीं कि एक तय हिस्से से ज्यादा में हॉर्टीकल्चर हो. फायदा ज्यादा होने के बावजूद बागवानी ये धान, गन्ना, गेंहू, दालें, और तिलहनी फसलों की जगह नहीं ले सकती. किसान जरूरत से ज्यादा कैश क्रॉप या हॉर्टीकल्चर की ओर ना बढ़ें इसलिए सरकार एक जिला एक उत्पाद योजना पर ध्यान दे रही है. 

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हॉर्टीकल्चर में क्या हैं मुश्किलें

  • डॉक्टर अवनी सिंह बागवानी में सबसे बड़ा समस्या कीट पतंगों और रोगों की मानते हैं जिससे बचाव के लिए किसानों को जरूरत से ज्यादा खाद और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करना पड़ता है. सॉइल मैनेजमेंट ना होने से भी खाद का प्रयोग बढ़ रहा है इससे फल सब्जियों में केमिकल ज्यादा हो रहे हैं और किसान की लागत भी बढ़ती है
  • किस सीजन में कितनी फसल की जरूरत है या कितना प्रोडक्शन हुआ इसके सही और पर्याप्त आंकड़े ना होने की वजह से किसानों का उत्पादन सही नहीं हो पाता और फिर कीमत कम होने की वजह से उनका नुकसान हो जाता है.बागवानी फसल की कटाई के दौरान क्वालिटी में काफी फर्क हो जाता है इसलिए सारी फसल का दाम सही और एक समान नहीं मिलता 
  • एक समस्या लॉजिस्टिक्स और कोल्ड स्टोर से जुड़ी है. बागवानी फसलें जल्दी खराब हो जाती है इसलिए मार्केट लिंक का सही सिस्टम होना बेहद जरूरी है. इसके देश में कोल्ड स्टोर चेन इतना अच्छा नहीं है जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. आंकड़ों के मुताबिक देश के करीब 60-70% कोल्ड स्टोर आलू के लिए इस्तेमाल हो जाते हैं और बाकी में दूसरी सभी हॉर्टीकल्चर की फसलें स्टोर होती हैं.
  • जो खेती की समस्या है वही सब बागवानी करने वाले किसान भी झेलते हैं. इसमें छोटे खेत, सिंचाई के पर्याप्त साधन ना मिलना और सॉइल मैनेजमेंट जैसे मुद्दे हैं. इन सबके बाद क्लाइमेट चेंज की वजह से बिन मौसम बारिश या सूखा भी बागवानी वाले किसानों को संकट में डाल देता है. हाल के कुछ साल में आवारा पशु की वजह से होने से नुकसान से भी किसान बेहद परेशान हैं.
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